मंत्रियों के बंटवारे में मुख्यमंत्री के विभाग भी चौंकाने वाले हैं। उनके अधिकांश विभाग परपंरागत है। यानी अब तक हुए सभी मुख्यमंत्रियों के पास लगभग ये सभी विभाग रहे हैं। हालांकि इस बार मुख्यमंत्री के साथ आबकारी विभाग भी जुड़ गया है। बीते सरकार में यह विभाग काफी चर्चाओं में रहा था। इस विभाग में हुई गड़बड़ियों की आंच पूर्व मुख्यमंत्री तक भी पहुंचीं थीं।
एक साथ किसी के पास नहीं रहे तीन बड़े विभाग सीएम बनाने वालों की सूची में शामिल भाजपा के तत्कालिन प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को विभागों के बंटवारे में काफी महत्व दिया गया है। उनके पास पीडब्ल्यूडी, पीएचई और नगरीय प्रशासन जैसे बड़े विभाग है। छत्तीसगढ़ में अभी तक तीनों विभाग एक मंत्री के पास नहीं रहे हैं। जबकि साव भी पहली बार के विधायक है। इससे पहले उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता था।
शर्मा को गृह विभाग देकर दिया बड़ा संकेतभाजपा ने युवा चेहरे के रूप में विजय शर्मा को पहले डिप्टी सीएम बनाया और फिर गृह विभाग जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर बड़े संकेत दिए हैं। इसके साथ ही उन्हें सबसे बड़े विभागों में से एक गिने जाने वाले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की भी जिम्मेदारी दी है। डिप्टी सीएम के तकनीकी ज्ञान का उपयोग करने के लिए उन्हें तकनीकी शिक्षा विभाग की भी जिम्मेदारी सौंपी है। डिप्टी सीएम ने इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्यापन का काम भी किया है। वे भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। बता दें कि कबीरधाम मामले में डिप्टी सीएम विजय शर्मा के खिलाफ गंभीर अपराध दर्ज है।
बंटवारे में दिग्गजों का मिलाजुला लाभ भाजपा ने नए मंत्रियों को जगह देकर अन्य राजनीतिक दलों के लिए भी एक मिशाल कायम की है। ज्यादातर मामलों में नए विधायकों को संसदीय सचिव बनाने की परंपरा रही है। ऐसे में भाजपा ने नए चेहरे को मौका देकर दूसरे राजनीतिक दलों के दिग्गज नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस में इसे लेकर चर्चा भी काफी हो रही है।
अन्य राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ी अब पूर्व आईएएस पेश करेंगे नई सरकार का पहला बजटविभाग के बंटवारे में पूर्व आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले ओपी चौधरी को वित्त विभाग की अहम जिम्मेदारी दी गई है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह तीसरा मौका होगा, जब वित्त विभाग मुख्यमंत्री के पास नहीं है। इससे पहले जोगी शासन में रामचंद्र सिंहदेव और रमन सिंह के पहले कार्यकाल में अमर अग्रवाल ने वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थे।
हालांकि बाद में रमन सिंह ही वित्त मंत्री बने थे। इसके बाद से मुख्यमंत्री इस विभाग के मुखिया की जिम्मेदारी निभाते आ रहे हैं। इस लिहाज से नई सरकार का पहला बजट ओपी चौधरी पेश करेंगे। चौधरी पहली बार के विधायक हैं। पांच साल तक संगठन में काम करने का बड़ा अवसर मिला था।
मंत्रियों के बंटवारे में दिग्गज मंत्रियों का कदम थोड़ा कम किया है। बृजमोहन अग्रवाल के पास स्कूल और उच्च शिक्षा जैसे विभाग हैं। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व व पर्यटन एवं संस्कृति में उनकी अच्छी पकड़ है। इसका लाभ मिलेगा। आठ बार का विधायक होने से उन्हें संसदीय कार्यमंत्री का दायित्व भी सौंपा गया है। पूर्व मंत्री दयालदास बघेल के पास केवल एक ही विभाग होगा। पूर्व मंत्री रामविचार नेताम को अजजा विभाग के अलावा कृषि मंत्री का बड़ा दायित्व दिया गया है। पिछले मंत्रिमंडल की तुलना में केदार कश्यप का कद थोड़ा बड़ा है। उन्हें वन विभाग के साथ-साथ जल संसाधन विभाग का भी दायित्व सौंपा गया है।
नए विधायक टंकराम वर्मा को खेल के साथ-साथ राजस्व विभाग की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी पहली बार मंत्री बने श्याम बिहारी जायसवाल को दी गई है। जबकि वो भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। पहली बार मंत्री बने लखनलाल देवांगन को भी क्षेत्र के हिसाब से पर्याप्त महत्व दिया गया है। महिला मंत्री को परंपरागत तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।