पत्रिका संवाददाता से घायल यात्री के पिता इश्तेयाक काफी घबराए हुए अस्पताल में मिले। ट्रेन में गोली चलने का जिक्र करते ही उनकी आंखों में आंसू भर आए…। कुछ देर रुक कर बोले- सबसे ऊपर वाली बर्थ में हम दोनों आमने-सामने सोए हुए थे। अचानक गोली चलने से हड़बड़ाहट में मेरी आंखें खुली तो बेटे दानिश के मुंह से कराहते हुए अब्बू की आवाज निकली। वह घबरा गए, देखा कि जवान नीचे पड़ा हुआ और बेटे के पेट से खून गिर रहा है। पीछे से कुछ जवान आए और कुछ यात्री मेरा कंबल लेकर पहले जवान को लपेटकर ऑटो में ले गए। मैं चीखकर बोला, मेरा बेटा घायल है, फिर बेटे को भी एक चादर में लपेटकर दूसरे ऑटो में अस्पताल लाए। डॉक्टर ने ऑपरेशन किया है। भरोसा मिला है कि ठीक हो जाएगा।
पेनाल्टी देने पर मिली थी बर्थ घायल यात्री के पिता इश्तेयाक आलम ने बताया कि वह नौरोजाबाद, जिला उमरिया, मप्र के रहने वाले हैं। सारनाथ में कंफर्म टिकट नहीं मिलने पर जनरल टिकट लेकर बैठे थे। ट्रेन उसलापुर पहुंचने पर सीटें खाली हुई तो टीटीई ने 200 रुपए पेनाल्टी लेकर ट्रेन के एस-2 में ऊपर की 75 व 78 नंबर की सीट दे दिया। उसी पर दोनों लोग सोये हुए थे। उन्होंने बताया कि भिलाई के नेहरूनगर की निजी अस्पताल में उन्हें पेसमेकर लगाया गया था। डॉक्टर ने 10 फरवरी को देखने की तारीख तय की थी। परंतु ऐसी घटना हो गई। बेटा अस्पताल में भर्ती हो गया।
30 हजार अस्पताल में जमा कराया घायल बेटे को अस्पताल लाने पर काउंटर पर 30 हजार रुपए जमा कराया गया। फिर इलाज शुरू हुआ। ऑपरेशन का 1 लाख 70 हजार और हर रोज 40 हजार रुपए सहित लगभग 5 लाख रुपए लगने का एस्टीमेट अस्पताल से मिला। ट्रेन में घटना होने की सूचना उन्होंने सबसे पहले भिलाई सेक्टर-6 में रहने वाले भतीजे माबूद अहमद दिया था। वे भी पहुंच गए। इश्तेयाक ने बताया कि उनकी आर्थिक िस्थति ऐसी नहीं कि इतना खर्च उठा सकें। बड़ा बेटा दानिश ही कमाता था, दूसरा बेटा 13 साल का है।
कोच को दुर्ग स्टेशन में अलग किया गया सारनाथ ट्रेन में उसलापुर स्टेशन पर आरपीएफ एसआई एसडी घोष के नेतृत्व में जवान दिनेश चंद सहित दो और जवानों की टीम रात 3.40 बजे सवार हुए थे। यह टीम यात्रियों की सुरक्षा के लिए ट्रेन में गश्त करती है। सारनाथ फास्ट होने से सुबह 5.45 बजे पहुंची और जवान दिनेश चंद के खुद की आधुनिक गन से अचानक गोली चल गई। इसके 15 मिनट बाद 6 बजे ट्रेन रायपुर स्टेशन से दुर्ग के लिए रवाना कर दी गई। उस कोच को दुर्ग स्टेशन में अलग किया गया। सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार दो गोली चलने से कोच की छत में दो छेद हो गए, उसकी फोरेंसिक जांच भी कराई जा रही है।
साथी जवान का बयान, दिनेश तनाव में नहीं था
जांच अधिकारी एलएस राजपूत ने बताया कि मृतक जवान दिनेशचंद के साथी रविंदर सिंह गूजर का बयान दर्ज किया है। पूछताछ में उसने बताया कि दोनों सारनाथ ट्रेन के एस-2 कोच में एक साथ नीचे की सीट पर बैठे थे। स्टेशन में ट्रेन रुकने पर जब उतरने के लिए निकल रहे थे, तभी अचानक दिनेश की गन से लगातार दो गोली चली और वह दोनों तरफ की बर्थ के बीच में धड़ाम से गिर पड़ा। साथी जवान रविंदर सिंह ने यह भी बताया कि स्टेशन के गुढि़यारी साइड बैरक में रहते थे। ट्रेन की गश्त में दोनों बार जाते-आते वह उसके साथ रहा, परंतु दिनेश के चेहरे पर तनाव नहीं दिखा। न ही वह किसी तरह की कोई चर्चा किया था। परंतु गोली कैसे चल गई, यह समझ ही नहीं आया।
विमान से जवान का शव भेजा गया घटना की जांच कर रहे जीआरपी थाना प्रभारी एलएस राजपूत ने बताया कि ट्रेन में गोली से चलने से आरपीएसएफ के जवान दिनेश चंद सिंह पिता करतार सिंह के सीने से पार हुई। सुबह 6.20 बजे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और डॉक्टरों ने आधे घंटे में 6 बजकर 51 मिनट पर मृत घोषित किया। मृतक जवान के चाचा ओम प्रकाश सिंह कोरबा में रहते हैं, उन्हें घटना की सूचना दी गई। आम्बेडकर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराकर जवान के शव को हवाई जहाज से रात 8 बजे उसके गृहग्राम राजस्थान भेजा गया।
इलाज का खर्च रेलवे देगा गोली से घायल यात्री के इलाज का खर्च रेलवे प्रशासन उठा रहा है। स्टेशन से 108 एम्बुलेंस संचालित किए जाने के संबंध में कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ है। फिर भी इस सेवा के लिए संबंधितों से चर्चा कर व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाएगा। – डॉ. विपिन वैष्णव, सीनियर डीसीएम, रायपुर रेलवे