रायपुर. छत्तीसगढ़ के अभनपुर के पारागांव में एक घर ऐसा भी है, जिसे ऑक्सीजोन या मिनी गार्डन कहा जा सकता है। घर में रहने वाली रवीना देवांगन और उसके भाई डाकेश्वर ने लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण प्रदूषण से चिंतित होकर पौधरोपण के महत्व को जानते हुए घर में ही इसे अंजाम दिया है। घर का शायद ही ऐसा कोई कोना हो, जहां पौधे मौजूद ना हो। यहां तक कि घर के बाहर की दीवार और बेडरूम तक में पौधे मौजूद हैं।
बड़ी बात यह है कि पौधे लगाने के लिए भाई-बहन की जोड़ी ने वेस्ट से बेस्ट तकनीक का भी इस्तेमाल किया है। फिर चाहे दवाइयों की खाली शीशियां हों या फिर पानी की बोतल, डिस्पोजल या प्लास्टिक के डिब्बे हों। इतना ही नहीं, साइकिल के पहिए के खराब रिंग और मोटरसाइकिल के खराब टायरों का भी बेहतर इस्तेमाल किया गया है।
पौधे लगाने का ऐसा जुनून कि भाई-बहन ने घर के बाहर अलग से नालीनुमा निर्माण कर उस पर भी पौधे रोपे हैं। रंग-बिरंगे फूलों वाले और खुशबूदार प्रजातियों के पौधों के कारण घर के भीतर का वातावरण काफी सुकून देने वाला लगता है और ऐसा लगता है मानो किसी गार्डन या ऑक्सीजोन में आ गए हों। रवीना, अन्य लोगों को भी पौधरोपण के महत्व को स्वीकार कर प्रकृति की रक्षा के लिए पौधरोपण की शुरुआत अपने घर से करने की अपील करती हैं।
रवीना देवांगन ने बताया कि उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा उनकी मैम मंजू देवांगन से मिली। रवीना की अपील इसलिए भी ध्यान देने योग्य है, क्योंकि प्लास्टिक वेस्ट को जलाने से वायुमंडल में स्थित ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है। ओजोन परत हानिकारक पराबैंगनी विकिरण को धरती तक आने से रोकती है, अगर ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो गई तो मानव जीवन संकट में पड़ जाएगा। ऐसे में हर किसी को इन दोनों भाई-बहनों की तरह स्वप्रेरित होकर पर्यावरण को बचाने इसी प्रकार की पहल करनी होगी।
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