शहर के 8 से 10 बड़े होटलों से जले तेल का कलेक्शन हो रहा है। बता दें कि 21 जुलाई को खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने 9 अधिकारियों की तीन टीम बनाई थी। इसके बाद से शहर के होटल संचालकों को तेल का तीन बार से ज्यादा उपयोग नहीं करने को लेकर हिदायत दी थी। इस संबंध में एफएसएसएआई ने दो साल पहले नोटीफिकेशन जारी किया था।
सेहत के नुकसान से बचाकर, पर्यावरण को फायदा
खाने वाले तेल को अधिकतम तीन बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बाद वह जहरीला हो जाता है और खाने के लिए उपयोगी नहीं रहता। लिहाजा इस्तेमाल होने के बाद जले हुए इस कुकिंग ऑयल से बनने वाला यह बायोडीजल प्रदूषण मुक्त ईंधन है और डीजल की तरह वायुमंडल को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
डीजल से सस्ता है बायोडीजल बायोडीजल बनाने के लिए आईआईपी को 30 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से इस्तेमाल के बाद बचा हुआ कुकिंग ऑयल मिल रहा है, जबकि इसकी प्रोसेसिंग में करीब 16-17 रुपए लगते हैं। लिहाजा यह 47 रुपए में बनकर तैयार हो रहा है। जो कि मौजूदा समय में पेट्रोलियम से मिल रहे डीजल से काफी सस्ता है। इसके लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने यूज्ड कुकिंग ऑयल से बने बायोडीजल के लिए 52 रुपए 50 पैसे कीमत तय की दी है।
कहां होता है बायोडीजल का इस्तेमाल
बायोडीजल पॉलिसी में केंद्र सरकार ने 2030 तक डीजल में 5 प्रतिशत बायोडीजल मिलाने की अनुमति दी है। बायोडीजल का इस्तेमाल अभी छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण के जेनरेटर, मशीनों, ट्रैक्टर आदि उपकरणों में इस्तेमाल हो रहा है।
300 लीटर जले खाद्य तेल से बनता 250 लीटर बायोडीजल यह पहली बार है कि बार-बार इस्तेमाल होने के बाद बचे और जले हुए खाद्य वनस्पति तेल से इसे बनाया गया है। 300 लीटर खाद्य तेल से 250 लीटर बायोडीजल बनता है। बाकी के बचे हुए रॉ मटेरियल से ग्रीस बनाने का रिसर्च किया जा रहा है। बचा हुआ रिफाइंड वेजिटेबल ऑयल होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंटों, घरों में मिल जाता है, जिसे प्रोसेसिंग करके अब बायोडीजल बनाया गया है। यह पेट्रोलियम डीजल से काफी अलग, सस्ता, प्रदूषण रहित है।
अभी कम कलेक्शन हो रहा है। इसलिए उत्पादन कम है। जल्द ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के साथ मिलकर अभियान चलाया जाएगा।
रमेश मेढेकर, संग्रहण प्रभारी, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण