scriptजानिए भूलन द मेज़ फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से, निर्देशक मनोज वर्मा की जुबानी | Bhulan The Maze Chollywood Director Manoj Verma Interview | Patrika News
रायपुर

जानिए भूलन द मेज़ फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से, निर्देशक मनोज वर्मा की जुबानी

भूलन द मेज़ फिल्म के निर्माता निर्देशक मनोज वर्मा के साथ पत्रिका टीम का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू। जानिए फिल्म की मेकिंग, कठिनाइयां और लोकेशन से जुड़े दिलचस्प किस्से।

रायपुरJun 10, 2022 / 07:58 pm

CG Desk

भूलन द मेज़ फिल्म

जानिए भूलन द मेज़ फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से, निर्देशक मनोज वर्मा के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

रायपुर. भूलन द मेज़ फिल्म का नाम तो आपने सुना ही होगा, छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी यह फिल्म 27 मई को करीबन 100 सिनेमाघरों में रिलीज़ की गई थी और फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म इन छत्तीसगढ़ी लैंग्वेज की कैटेगरी में नेशनल फिल्म अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। बता दें, फिल्म में कई नामी कलाकारों ने अहम भूमिका निभाई है जिनमें पीपली लाइफ में देखे गए ओमकार दास मानिकपुरी, अनीमा पगारे, राजेंद्र गुप्ता और मुकेश तिवारी जैसे नाम शामिल हैं। फिल्म की कहानी महुआभाटा के भकला और बिरजू के इर्दगिर्द घूमती है। पत्रिका टीम से खास बातचीत के दौरान फिल्म के निर्माता और निर्देशक मनोज वर्मा ने फिल्म से जुड़ी कई खास बातें बताई।

कैसे शुरू हुआ फिल्म का सफर
मनोज वर्मा बताते हैं कि भूलन द मेज़ से पहले उन्होंने मेनस्ट्रीम सिनेमा में 4 छत्तीसगढ़ी फिल्मों का निर्देशन किया था। जब एक फिल्म फेस्टिवल अटेंड करने वे गोवा गए हुए थे किसी ने उनसे सवाल पूछा लिया कि क्या छत्तीसगढ़ में भी फिल्में बनती हैं? यह बात मनोज वर्मा को खटकी और उसी समय उन्होंने तय कर लिया कि वे ऐसी फिल्म बनाएंगे जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और संस्कार को बाहरी दर्शकों तक पहुंचा सके। मनोज कहानी की तलाश में थे कि तभी उनकी मुलाकात उपन्यासकार संजीव बख्शी से हुई। संजीव ने बताया वे भूलन कांदा पर आधारित एक कहानी लिख रहे हैं, भूलन कांदा एक ऐसा पौधा है जिस पर पैर पड़ जाए तो आदमी रास्ता भटक जाता है और अब तक अचेत अवस्था में रहता है जब तक उसे कोई छूकर होश में ना ले आए। मनोज वर्मा को कहानी रोचक लगी और उन्होंने संजीव से कहा कि जब आप किताब पूरी कर लेंगे तो हम इसपर एक फिल्म बनाएंगे।

उपन्यास को फिल्म में ढालना अब तक की सबसे बड़ी चुनौती
मनोज को कहानी 2012 में प्राप्त हुई और उन्होंने तुरंत स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू कर दिया। स्क्रिप्ट तैयार करने में उन्हें ढाई साल का वक्त लगा। कई बार 20-30 सीन बन जाने के बाद उन्होंने स्क्रिप्ट के सारे पन्ने फाड़कर फिर से शुरुआत की। मिसाल के तौर पर उन्होंने बताया उपन्यास की एक पंक्ति “भकला एक सीधा साधा आदमी है वह नहीं जानता कि किसके सामने क्या कहना है” को दर्शाने के लिए मनोज को फिल्म में 4-5 सीन्स विकसित करने पड़े। उनका मानना है कि एक उपन्यास से फिल्म बनाते समय उपन्यास की आत्मा फिल्म में जीवित रहनी चाहिए परंतु फिल्म एक उपन्यास नहीं लगनी चाहिए।

फिल्म की लोकेशन थी खास जेल में भी की गई शूटिंग
मनोज ने महुआभाटा गांव को पहली बार साल 2003 में देखा था जब वह फिल्मों का निर्देशन करने से दूर-दूर तक वास्ता नहीं रखते थे। वह जगह इतनी स्वच्छ और सुंदर लगी कि इतने सालों बाद जब भूलन द मेज़ फिल्म की लोकेशन तय करने का समय आया उन्होंने झट से पता किया कि आखिर 2003 में देखा वह गांव कहां है। इसके अलावा खैरागढ़ के जेल में भी फिल्म की शूटिंग की गई। उन्होंने बताया फिल्म से जुड़े स्टाफ को फिल्म में भीड़ बढ़ाने और मिस्टेक्स अवॉइड करने के लिए कैदियों के कपड़े पहनाकर घुमाया जाता था। बता दें, फिल्म की शूटिंग कुल 4 लोकेशन महुआभाटा, गरियाबंद, रायपुर और खैरागढ़ पर की गई है।

फिल्म बनाने से भी ज्यादा कठिन उसे सिनेमाघर तक पहुंचाना है
मनोज कहते हैं की छत्तीसगढ़ी फिल्म को बनाने से ज्यादा कठिन उसे सिनेमा घर तक पहुंच जाना है। उनकी चलती फिल्मों को राजनांदगांव और दुर्ग के सिनेमाघरों से उतार दिया गया था। शायद इसके पीछे का कारण यह है कि बॉलीवुड फिल्म्स के सामने छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्मों को नगण्य समझा जा रहा है। इस बात को लेकर पहले भी कई फिल्म मेकर्स आंदोलन पर उतर चुके हैं। इसके अलावा मनोज यह भी चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों को उपलब्ध कराई जा रही सब्सिडी बढ़ाई जाए जो कि अन्य फिल्मों को मिलने वाली सब्सिडी से काफ़ी कम है।

छॉलीवुड में गुटबाजी और कास्टिंग काउच की प्रथा एक मिथक है
मनोज कहते हैं कि छॉलीवुड में गुट और कास्टिंग काउच जैसी प्रथा के उपस्थित होने की बात से वे असहमत हैं। मनोज का मानना है की छॉलीवुड इतनी बड़ी इंडस्ट्री नहीं है कि उनमें गुटबाजी हो, वाद विवाद तो हर बिजनेस में होते हैं पर गुट की प्रथा अब तक छॉलीवुड में नहीं आई है। इसके अलावा मनोज कहते हैं कि कास्टिंग काउच की प्रथा भी अब तक उन्होंने छत्तीसगढ़ में सुनी या देखी

Hindi News / Raipur / जानिए भूलन द मेज़ फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से, निर्देशक मनोज वर्मा की जुबानी

ट्रेंडिंग वीडियो