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गाल में बिना दर्द छाला तो तुरंत सतर्क हो जाएं 17 साल में 50 हजार से ज्यादा मरीजों पर की गई स्टडी बताती है, अगर कैंसर के लक्षण दिख गए हैं और आप तंबाकू छोड़ते हैं तो संभव है 8-10 सालों बाद आप कैंसर की चपेट में आ सकते हैं। (CG Breaking News) यह रिसर्च संजीवनी कैंसर हॉस्पिटल व रिसर्च सेंटर में की गई है। एक्सपट्र्स के अनुसार अगर गाल में बिना दर्द का छाला है तो तुरंत सतर्क हो जाएं। मन से संकल्प लें कि कभी
तंबाकू को हाथ नहीं लगाएंगे और सीधे डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएं।
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कैंसर के कारण – बेतरतीब खान-पान, अनहैल्दी लाइफ स्टाइल, पर्यावरण प्रदूषण, शारीरिक मेहनत की कमी – तंबाकू और शराब का सेवन – हैपेटाइटिस, एड्स समेत अन्य बैक्टीरिया वायरस के संक्रमण से
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17 साल में खुले ६ से ज्यादा अस्पताल छत्तीसगढ़ में पहला कैंसर डेडीकेटेड हॉस्पिटल 17 साल पहले रायपुर में खुला था। आज रायपुर में ही आधा दर्जन से ज्यादा कैंसर डेडीकेटेड हॉस्पिटल खुल चुके हैं। जानकारों की मानें तो 2 वजह हैं(Raipur News Today) पहली- प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसी का नतीजा है कि आंबेडकर अस्पताल के क्षेत्रीय कैंसर रिसर्च संस्थान में हर साल 30 हजार से ज्यादा कैंसर के नए मरीज इलाज के लिए आते हैं। दूसरी- अन्य राज्यों के मरीज भी अब इलाज के लिए यहां आने लगे हैं, (CG Raipur News) ऐसे में अस्पतालों के लिए भी संभावनाओं के नए द्वार खुले हैं।रानी बनाकर रखूंगा… बोलकर कई बार किया दुष्कर्म, लड़की के बयान पर कोर्ट ने आरोपी को दी ये सजा
अनियमित जीवनशैली
हाल के दिनों में खान-पान और अनियमित जीवनशैली भी इसकी बड़ी वजह बनकर उभरी है। दरअसल, लोग अब घर से अधिक बाहर का खाना खाने के आदी हो रहे हैं। बता दें कि सब्जियों,(CG News in Hindi) फलों आदि का रंग चटख दिखाने होटलों और दुकानों में डाइंग कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। पैकेज्ड फूड को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया जाता है।
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सब्जेक्ट एक्सपर्ट
कैंसर अब लाइफ स्टाइल डिसीज बन चुका है। मतलब हमारी रोजमर्रा में ऐसी कई आदतें शामिल हो चुकी हैं जिनसे कैंसर हो सकता है। यह देखा गया है कि जो लोग इलाज के प्रति अधिक आशावादी होते हैं, (Raipur News in Hindi) वे जल्दी रिकवर करते हैं और उन्हें दोबारा यह बीमारी होने का खतरा भी नहीं रहता। इसके विपरीत जो लोग अधिक भयभीत होते हैं और उम्मीद छोड़ देते हैं, वे ठीक होने के बाद भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।