मुश्किलें पैदा कर रही थीं सीमाएं
दरअसल, वर्ष 2011 में जिलों के पुनर्गठन के समय जब सरगुजा से अलग कर सूरजपुर को जिला बनाया गया था, तब उसकी सीमा अम्बिकापुर के पड़ोस से खींची गई थी। उस समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया कि अम्बिकापुर जिला मुख्यालय उत्तरी सीमा पर पड़ रहा है। इससे लगे हुए गांव सूरजपुर जिले में होंगे। उनका जिला मुख्यालय आना-जाना अम्बिकापुर के मुकाबले कठिनतर होगा। अजीरिमा पंचायत से अम्बिकापुर की दूरी केवल 4 किमी थी, जबकि उनका जिला मुख्यालय सूरजपुर 40 किमी दूर। ऐसी ही स्थिति गैतरा की भी थी। गांव तीन तरफ से सूरजपुर से घिरा था और अम्बिकापुर से था भी बहुत दूर।
बंटवारे के साथ ही उठने लगी थी मांग
जिलों के एेसे बंटवारे के साथ ही इसकी मांग उठने लगी थी। लोगों का कहना था कि सीमाओं की वजह से रेलवे स्टेशन, केंद्रीय विद्यालय और कृषि महाविद्यालय सूरजपुर में पड़ रहे थे। कोई वारदात होने पर भी वहां से 20 किमी दूर के थाने जयनगर को वहां की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती थी।
असुविधा को देखते हुए अदला-बदली
लोगों की असुविधा को देखते हुए गांवों की अदला-बदली की जा रही है। अम्बिकापुर से नजदीक का गांव सरगुजा में और एक सूरजपुर के भीतर धंसा सरगुजा का गांव सूरजपुर में शामिल किया जाएगा। जल्दी ही उसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
– एन.के. खाखा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन सचिव, छत्तीसगढ़