- जिस व्यक्ति से गोल्ड सीज हुआ है उस व्यक्ति को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है जबकि गोल्ड को जी.पी. सिंह का बताकर उन्हें आरोपी बनाया।
- जिस स्कूटर से सोना मिला है वह भी सिंह और उनके परिजनों के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है।
- सुपेला में दर्ज एक्सटॉर्शन मामले में 6 साल बाद बदले की कार्रवाई के तहत मामला दर्ज करवाया।
- जिन कटे-फटे कागज जी.पी. सिंह के ठिकाने से मिलने के आधार पर उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया, उन कागजों से कोई भी षड्यंत्र परिलक्षित नहीं होता।
- एसीबी ने अदालत में पेश किए गए जवाब में भी स्पष्ट है कि कागज के टुकड़ों की रेडियोग्राफी में कोई भी स्पष्टता नहीं है।
वकीलों ने इसे राजनीतिक द्वेषपूर्ण कार्रवाई कहा। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने जी.पी. सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों को रद्द कर दिया।
अब आगे क्या?, बहाली होगी या नहीं
सेवा से हटाए गए आईपीएस जी.पी. सिंह को बहाल करने के आदेश केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने दिए थे। जिसके परिपालन में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को बहाली प्रस्ताव भेजा था। पर केंद्र सरकार ने अब तक
आदेश जारी नहीं किए हैं। बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट में कैट के फैसले के खिलाफ अपील कर दी है। इसका निराकरण होने के बाद ही सिंह की बहाली हो पाएगी।
इन मामलों में हुई थी एफआईआर
1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करवाया था। वर्ष 2021 में एसीबी ने सिंह के सरकारी आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी कर 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और कई दस्तावेज़ बरामद किए थे। जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित किया गया और कुछ दिनों बाद राजद्रोह का केस दर्ज हुआ। वे 120 दिन जेल में थे।