दरअसल सभी स्थानों पर बिल्डिंग के लिए जमीन मिल गई है। इससे शासन को ये फायदा होगा कि नेशनल मेडिकल कमीशन टीम के निरीक्षण में आने के पहले बिल्डिंग तैयार रहेगी। इससे मान्यता में भी आसानी रहेगी। हालांकि फैकल्टी कहां से आएगी, ये सबसे बड़ी समस्या बनने वाली है। केंद्र सरकार इसके लिए फंड दे सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो साल पहले प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज खोलने की मंजूरी दी थी, लेकिन अभी फंड के संबंध में कोई सूचना राज्य सरकार को नहीं मिली है। वहीं जशपुर में नया मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा। ये मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का गृह जिला है। राज्य बजट में कुनकुरी में 220 बेड के अस्पताल की घोषणा को नए मेडिकल कॉलेज से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल एमबीबीएस की 50 सीटों के लिए 220 बेड का अस्पताल चाहिए। जशपुर में पहले ही जिला अस्पताल चल रहा है। ऐसे में वहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था हो जाएगी। बाकी चारों स्थानों पर भी जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल बनाया जाएगा।
जिला अस्पतालों को करेंगे संबद्ध, मरीजों को राहत जहां नया मेडिकल कॉलेज शुरू होता है, वहां जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज से संबद्ध किया जाता है। इससे मरीजों को बड़ी राहत मिलती है। ओपीडी में रोजाना 400 मरीजों का इलाज होना चाहिए। गठित टीम पांचों स्थानों पर ओपीडी की पड़ताल की जाएगी। एक नया मेडिकल कॉलेज बनाने में 600 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होता है। कोरबा, कांकेर व महासमुंद जैसे नए मेडिकल कॉलेज केंद्र प्रवर्तित योजना के तहत बनने जा रहे हैं। ये कॉलेज शुरू तो हो गए हैं, लेकिन नई बिल्डिंग नहीं बनी है। इस योजना के तहत 60 फीसदी फंड केंद्र सरकार व बाकी राज्य सरकार देती है। चूंकि जशपुर में नए मेडिकल कॉलेज अभी खोलने का निर्णय लिया गया है इसलिए पूरा फंड राज्य सरकार को वहन करना पड़ सकता है।
220 बेड का अस्पताल इस तरह होगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जनरल मेडिसिन के 50, जनरल सर्जरी के 50, पीडियाट्रिक के 25 बेड होंगे। इसी तरह ऑर्थोपीडिक्स के 20, ऑब्स एंड गायनी के 25, आईसीयू के 20, ऑप्थेलमोलॉजी विभाग में 10 बेड रखा जाएगा। साथ में ईएनटी में 10, स्किन व साइकेट्री विभाग में 5-5 बेड रहेंगे। इस तरह कुल 220 बेड का अस्पताल रहेगा।