शहर और आसपास के इलाकों से सबसे ज्यादा बालिकाएं लापता हो रही हैं। अधिकांश मामले प्रेम-प्रसंग के सामने आ रहे हैं, जिसमें प्रेमी उन्हें बहला-फुसला कर अपने साथ ले जाते हैं। वर्ष 2017 में 171 बालक और 302 बालिकाएं गायब हुईं। वर्ष 2018 में बालक 126 और बालिकाएं 342, वर्ष 2019 में जून माह तक 219 बालिकाएं गायब हो चुकी हैं। इसके मुकाबले 50 बालक लापता हुए हैं।
नाबालिगों के घर छोडऩे के कई कारण सामने आएं हैं, जिनमें ऐशोआराम की जिंदगी जीने की ललक, प्रेम प्रसंग, ज्यादा पैसा कमाने का लालच, महंगे शौक, मानव तस्करी आदि शामिल हैं। गायब होने वाले नाबालिगों की उम्र 15 से 17 के बीच ज्यादा है। ज्यादातर मामलों में नाबालिगों की परवरिश में परिजनों की अनदेखी बड़ी वजह है।
गायब होने वाले नाबालिगों को ढूंढने के लिए पुलिस हर साल विशेष अभियान चलाती है। अभियान साल भर में दो बार चलाना होता है। पहले ऑपरेशन मुस्कान शुरू किया गया था। इसके बाद ऑपरेशन तलाश शुरू किया गया। करीब तीन माह पहले ऑपरेशन तलाश-3 चलाया गया था। पिछले तीन साल में कुल 1210 नाबालिग बालक-बालिकाएं अपने घर में सूचना दिए बगैर गायब हुए थे। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू की। पुलिस ने विशेष अभियान चलाकर 1018 नाबालिगों को ढूंढ निकाला है।
विभिन्न इलाकों से गायब हुए 192 नाबालिगों का अब तक पता नहीं चल पाया है। इनमें 43 बालक और 149 बालिकाएं हैं। नाबालिगों के लापता होने के मामले में पुलिस अपहरण का अपराध करती है। करीब चार साल पहले पुलिस ऐसे मामलों में अपराध दर्ज नहीं करती थी। केवल गुम इंसान का मामला दर्ज होता था।
ऑपरेशन तलाश के दौरान हर थाने के स्टॉफ को शामिल करके एक टीम बनाई जाती थी। यह टीम गायब नाबालिग की तलाश में दूसरे राज्य जाती थी। इस बार अभियान में तेजी नजर नहीं आई। थानों की टीम को शामिल नहीं किया गया। गुम इंसान सेल के कर्मचारी ही इसमें शामिल रहे।
-आरिफ शेख, एसएसपी, रायपुर