कहीं भी पैर रखने की जगह तक नहीं है। पास में ही रावण का विशाल पुतला खड़ा किया गया है। परंपरा के अनुसार सारंगढ़ राज परिवार की अनुमति के बाद गढ़ विच्छेदन का कार्यक्रम आरंभ होगा।
इसके बाद जो विजेता होगा उसके हाथों रावण का दहन करवाया जाएगा। फिलहाल नगर के ऐतिहासिक गढ़ विच्छेदन कार्यक्रम का आयोजन आरंभ हो गया है। इसके लिए लगभग पचास फुट लंबा किलानुमा गढ़ ठीक मैदान के बीच में मिट्टी से बनाया गया है। लोगों ने बताया कि इसी गढ़ पर कई प्रतियोगी चढ़ेंगे और गढ़ विच्छेदन में भाग लेने वाले हैं।
अंत में जो प्रतियोगी गढ़ विच्छेदन में सफल होता है उसे सारंगढ के राजा द्वारा सम्मानित किया जाएगा। गढ़विच्छेदन की यह प्रतियोगिता बहुत ही रोमांचक होती है। प्रतियोगियों के लिए गढ़ विच्छेदन करना आसान नहीं होता है।
गढ़ के ऊपर चार-पांच लोग डंडे लेकर बैठे रहते हैं, चार पांच लोग इन प्रतियोगियों को गढ़ के ऊपर पहुंचने से रोकते हैं। जैसे ही ये ऊपर पहुंचने का प्रयास करते हैं उनपर डंडे से हमला किया जाता है। हालंकि ये हमला काफी स्वस्थ्य तरीके से किया जाता है पर इन लोगों को उस गढ़ पर चढऩे से रोका जाता है।
इसके बाद ये नीचे गिर जाते हैं, जैसे ही ये नीचे गिरते हैं मैदान में उपस्थित हजारों की भीड़ के बीच कौतुहल और हंसी का आलम बन जाता है। यह खेल बार बार चलता है और अंत मे जो प्रतियोगी इन तमाम बाधाओं को पार कर गढ़ के ऊपर चढ़ता है।
वही विजेता होता है और इसी के द्वारा ही रावण के पुतले का दहन करवाया जाता है। इसके बाद वह राजा के हाथों सम्मानित होता है। यह परम्परा सारंगढ की बरसों पुरानी परम्परा है। इसके बाद गढ़ विजेता के हाथों रावण के पुतले का दहन करवाया जाता है