इसकी वजह से मरीज व उनके परिजनों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं अस्पताल के कर्मचारियों की माने तो शासन के नियम के अनुसार मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से पहले उसका स्मार्ट कार्ड चालू करना पड़ता है और छुट्टी के बाद तत्काल बंद भी करना होता है, लेकिन सर्वर के अभाव में दोनों काम लटक जा रहा है। जिससे मरीज तो परेशान होते ही हैं साथ ही वहां काम करने वाले कर्मचारियों को भी परेशान होना पड़ता है। वहीं अस्पताल सूत्रों के अनुसार एमसीएच का पूरा डाटा जिला अस्पताल के सर्वर में सेव होता है, लेकिन यहां सर्वर में खराबी होने के कारण विगत 15 दिनों से कोई डाटा सेव नहीं हो रहा है। ऐसे में कब तक सर्वर में सुधार हो सकेगा। इसको लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में एमआरडी विभाग की माने तो जब एमसीएच से मैनुअल रजिस्टर आएगा, तभी डाटा ऑन लाइन हो पाएगा।
यह कहते हैं परिजन इस संबंध में मरीज के परिजनों का कहना है कि सर्वर नहीं होने से मरीजों को भर्ती करने व डिस्चार्ज कराने में घंटों समय लग जा रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि ऑफ लाइन काम होने से एक-एक मरीज की पूरी जानकारी रजिस्टर में एंट्री करनी पड़ रही है। साथ ही स्मार्ट कार्ड चालू कराने व बंद कराने के लिए पूरी दस्तावेज की फोटो कापी जमा करना पड़ रहा है। जिससे मरीज व कर्मचारी दोनों परेशान हो रहे हैं।
एमसीएच अस्पताल के ओपीडी काउंटर में नेट की सुविधा विगत 15 दिन से बंद पड़ा है। जिसमें यह कहा जा रहा है कि अभी तक मेडिकल कालेज के नेट से यहां सर्वर चालू था, लेकिन अब मेडिकल कालेज से नेट डिस्कनेक्ट होने के बाद नया कनेक्शन लेने में करीब दो से ढाई लाख रुपए का खर्च आ रहा है। इससे काम लटक गया है। कुछ कर्मचारी अपने मोबाइल के नेट से कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन टावर की समस्या आने के कारण इसमें भी दिक्कत आती है। जिससे ज्यादातर कार्य मैन्युअल ही किया जा रहा है।