अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री योगी से सीख लेनी चाहिए : सिद्धार्थनाथ सिंह शिवबालक पासी की दो समाधि :- पूर्व मंत्री शिवबालक पासी के निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। गांव में ही पत्नी की समाधि के पास अंतिम संस्कार किया गया। उनके बड़े बेटे राजबहादुर ने चिता को मुखाग्नि दी। पूर्व विधायक शिवबालक पासी ने अपने निधन के पहले ही दो समाधि बनवा दी थी। इसमें एक समाधि गांव के पास और दूसरी रहीमगंज चौराहे के पास बनवाई थी। उन्होंने अपने बड़े बेटे राजबहादुर से कहां था कि मेरी चिता जलाने के बाद राख दोनों समाधियों में रखवा देना। यह बात याद करके परिजन भाव विह्वल थे।
शिवबालक पासी राजनीतिक सफर :- शिवबालक पासी की गिनती राजनीतिक योद्धा के रूप में होती थी। प्रधानी से लेकर मंत्री तक का सफर उन्होंने तय किया। डीह ब्लॉक क्षेत्र के थौरी गांव निवासी व पूर्व कांग्रेस विधायक शिवबालक पासी 1972 में गांव के प्रधान चुने गए। वर्ष 1980 तक गांव के प्रधान रहे। इसके बाद 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से सलोन विधानसभा सीट से विधायक बने। 1985 में फिर जीते। 1989 में तीसरी बार विधायक बने। 1991 में चौथी बार और 2007 में पांचवीं बार विधायक बने। 1980 में कांग्रेस की सरकार बनने पर शिवबालक पासी को समाज कल्याण राज्य मंत्री भी बनाया गया था। कुछ दिन बाद वर्ष 1985 में कृषि राज्य मंत्री भी बनाया गया था।
25 दिन में चार नेताओं ने कहा अलविदा :- शिवबालक पासी की पत्नी, तीन बेटों की मौत पहले ही हो चुकी है। एक माह में राजनीति के चार धुरंधरों की मौत से लोग हैरान हैं। 20 अप्रैल को भाजपा नेता ब्रजलाल पासी, 22 अप्रैल को सलोन के पूर्व ब्लॉक प्रमुख रामसजीवन यादव, आठ मई को सलोन के भाजपा विधायक दलबहादुर कोरी और अब पूर्व विधायक शिवबालक पासी को मौत ने सभी को तोड़ कर रख दिया है।