रायबरेली सीट पर रहा कब्जा
रायबरेली में छह विधानसभा सीटें बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली सदर, सरेनी, ऊंचाहार और सलोन हैं। लेकिन, कांग्रेस का गढ़ होने के बावजूद वर्ष 2017 तक रायबरेली सदर सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा नहीं रहा। वजह थी ‘विधायक जी’ के नाम से मशहूर अखिलेश सिंह। बाहुबली अखिलेश सिंह क्रिमिनल बैकग्राउंड होने के बावजूद यहां की जमीन पर पकड़ रखते थे। अखिलेश सिंह का दबदबा और हनक इस सीट पर देखने को मिलती थी। वर्ष 2017 के चुनाव में अपनी गिरती सेहत और सियासी विरासत को संजोए रखने के लिए अखिलेश ने अपनी बेटी को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाकर विधानसभा भेजा। कहा जाता है कि जिले के हर ठेके-पट्टे पर उनका कमीशन तय होता था। किसी भी प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए उनके आदमी को काम देना भी जरूरी था।
45 से ज्यादा मुकदमे दर्ज
अखिलेश सिंह पर 45 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, कई मामले में वे बरी हो चुके हैं, जबकि कई केस अभी भी विचाराधीन हैं। वर्ष 1988 के मशहूर सैय्यद मोदी हत्याकांड में भी उनका नाम आया था। हत्याकांड में अखिलेश सिंह के अलावा अमेठी राजघराने के संजय सिंह और सैयद मोदी की पत्नी अमिता मोदी पर भी मुकदमा दर्ज हुआ था। साल 1990 में संजय सिंह और अमिता को बरी कर दिया गया और 1996 में अखिलेश सिंह भी बरी हो गए।
राहुल-प्रियंका से ज्यादा अखिलेश की रैलियों में जुटते थे लोग
अखिलेश सिंह इस सीट से पांच बार विधायक रहे। कई बार निर्दलीय चुने गए और वर्ष 2012 के चुनावों से पहले पीस पार्टी जॉइन की थी। अखिलेश सिंह 13 साल तक कांग्रेस से अलग रहे। इस दौरान वह गांधी परिवार को जमकर कोसते थे। कहा जाता है कि अखिलेश सिंह का खौफ ऐसा था कि कांग्रेसी उनके डर से पोस्टर भी नहीं लगा पाते थे। राहुल और प्रियंका की रैलियों से ज्यादा भीड़ उनकी सभाओं में जुटती थी। कहा ये भी जाता है कि जिस दिन राहुल और प्रियंका की जनसभा होती थी, अखिलेश उसी दिन रैली करते थे।