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बालोद

करगिल में जवानों की शहादत को याद कर आंखें हो जाती हैं नम

करगिल विजय दिवस : भारतीय सेना ने अदम्य साहस के बल पर करगिल की सभी चोटियों से दुश्मनों को खेदड़ा और तिरंगा फहराया

बालोदJul 27, 2024 / 12:16 am

Chandra Kishor Deshmukh

करगिल विजय दिवस : भारतीय सेना ने अदम्य साहस के बल पर करगिल की सभी चोटियों से दुश्मनों को खेदड़ा और तिरंगा फहराया
Kargil Vijay Diwas कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई को मनाया जाएगा। गुरुर विकासखंड के ग्राम कोचवाही निवासी आर्मी सप्लाई कोर में पदस्थ रहे कैप्टन जगमोहन साहू ने कारगिल युद्ध के कुछ अनसुने किस्से बताए। उन्होंने बताया 3 मई 1999 को जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ तो युद्ध के 6 दिन बाद हमारी आर्मी के आर्मी सप्लाई कोर की 45 सदस्य टीम कारगिल पहुंची। युद्ध लड़ रहे जवानों को राशन पहुंचाने का काम करते थे। 60 दिनों तक चले इस युद्ध भारतीय सेना ने अदम्य साहस और शौर्य दिखाकर पाकिस्तानी सेना को हराया था।

दो किमी दूर से राशन की करते थे व्यवस्था

उन्होंने बताया कि जब हमारे जवान लड़ रहे थे, तब हम उनके पीछे दो किमी दूर से राशन की व्यवस्था करते थे। जवानों के पास राशन पहुंचाते थे। एक बार ऐसा हुआ राशन ले जाने के समय पाकिस्तानियों का बम हमारे साथियों के बीच गिरा, जिससे साथी शहीद हो गए। कारगिल युद्ध जीत गए, लेकिन आज भी हमारे जवान साथियों की शहादत याद आती है और आंख नम हो जाती है। जवानों ने अदम्य साहस दिखाया था।
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जवानों की शहादत को याद कर आंखें हो जाती हैं नम

वर्दी, जूता, सभी फ्रेम में सुरक्षित

अब सेना से सेवानिवृत्ति हो गया हूं, लेकिन सेना में जो सेवा वर्दी के साथ दी, उस वर्दी, जूता, टोपी सभी को सुरक्षित रखा है। वहीं देश सेवा व भारत मां की रक्षा के प्रति बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रपति से भी प्रमाणपत्र मिला है। इसके अलावा कई सम्मान सेना से मिले। सेना में कैप्टन भी बनाया गया।

527 जवानों ने दी प्राणों की आहुति

कारगिल युद्ध में भारतीय सशस्त्र सेनाओं के 527 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। वे कारगिल युद्ध की विजय गाथा लोगों को बताते हैं। 2018 में सेना से रिटायर होने के बाद से जिले के युवाओं को सेना में भर्ती होने नि:शुल्क प्रशिक्षण भी देते हैं। 20 से अधिक युवा सेना में भर्ती हो चुके हैं।
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सैनिकों के पास राशन न पहुंचे, मार्ग बाधित करते थे दुश्मन

उन्होंने बताया कि दुश्मन ने टोलोलिंग, टाइगर हिल और मास्को घाटी में सभी महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा जमा लिया था। लेह लद्दाख व सियाचिन ग्लेशियर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय सेना के मूवमेंट को बाधित कर रहे थे, जिससे जवानों के पास राशन न पहुंच, लेकिन बेहतर रणनीति के साथ जवानों ने टोलोलिंग पर बैठे दुश्मन पर धावा बोल दिया।

दिन में बनाते थे योजना, रात में करते थे युद्ध

पाकिस्तान के सैनिक पहले से ही पहाड़ों की चोटी पर रहते थे। वहीं से फायरिंग करते थे। हमारे जवानों को काफी परेशानी होती थी। जवान व हमारी टीम दिन में कार्ययोजना बनाते थे और रात में दुश्मन पाकिस्तान के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देते थे। उन्होने बताया राशन पहुंचने के दौरान दुश्मन का मोटार बम हमारे जवानों के बीच गिरा तो हमारे चार जवान शहीद हो गए व एक ने अपने पास ही गोद में दम तोड़ दिया। घायल जवानों को देखकर पाकिस्तानियों के सैनिकों के प्रति गुस्सा आता था। बदला लेने और जोश के साथ आगे बढ़ते थे।
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22 जुलाई को जीत का जश्न मनाया

वे बताते हैं कि 22 जुलाई को टाइगर हिल पर पाकिस्तान के सैनिकों को भारतीय जवानों ने चारों तरफ से घेरकर हमला किया। तब पाकिस्तान की सैनिक कांप गए। कुछ भाग गए और कुछ मारे गए। उस रात जब जीत की खबर आई और कारगिल पर तिरंगा लहराया गया। उस समय उत्साह था, हमारे साथियों की शहादत पर आंखें भी नम थी।

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