अमित शाह का ऐलान – हर एक नक्सली को मारेंगे, पूरा देश होगा आतंकियों से मुक्त
तोड़ने-जोड़ने की रणनीति राजनीति दल चुनाव जीतने की रणनीति लगातार बदल रहे हैं। चुनाव की घोषणा होने के बाद कांग्रेस-भाजपा ने पहले अपने कार्यकर्ताओं को साधने का प्रयास किया। इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस नेताओं को तोड़ने की रणनीति पर काम किया। इस मामले में कांग्रेस पिछड़ गई थी। जब कांग्रेस को भाजपा की रणनीति का एहसास हुआ, तो बड़ी देर हो गई थी। कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने लगा था। हालांकि इससे सबक लेते हुए कांग्रेस ने देर सबेर संवाद और संपर्क समिति का गठन किया।कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में न्याय गारंटी का जिक्र किया। इसे ही चुनाव का बड़ा हथियार मानकर चल रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस प्रत्याशी अपने मुद्दों के साथ-साथ न्याय गारंटी पर भी जोर दे रहा है। इसमें महालक्ष्मी न्याय गारंटी योजना पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। इसके तहत गरीब महिलाओं को हर साल 1 लाख रुपए देने का वादा किया गया है। इसे भुनाने के लिए कांग्रेस के उमीदवार महिलाओं से फॉर्म भरवा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महतारी न्याय योजना का फॉर्म भरवा था। भाजपा का यह कदम गेम चैंजर साबित हुआ था।
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प्रत्याशी चयन की भी रणनीति
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता 16 मार्च को लागू हुई थी। इसके बाद चुनाव सरगर्मी की शुरुआत हुई। चुनावी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान पहले किया। इसमें भाजपा ने दो सांसदों को दोबारा मौका दिया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी चयन करने में पिछड़ गई थी, लेकिन अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारकर सभी को चौंका दिया है। इसके लिए कांग्रेस ने दिग्गजों की सीट बदलने से भी गुरेज नहीं किया। वर्तमान में पूर्व मुयमंत्री भूपेश बघेल के अलावा तीन पूर्व मंत्री भी सांसद चुनाव में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।