महिला सशक्तीकरण में महिला साहित्यकारों की भूमिका पर कॉलेज की छात्राओं को सम्बोधित करने इलाहबाद यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज विभाग के कोर्स को-ऑर्डिनेटर डॉ. धनंजय चोपड़ा पहुंचे। उन्होंने वहां ढेरों बातें कही।
सफल रचनाकार की बताई परिभाषा
व्याख्यान रखते हुए धनंजय चोपड़ा ने कहा कि सफल रचनाकार वही है, जो समाज की ध्वनियों को सहेजता है और उन्हें शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत कर देता है। बेहतर दृश्य संयोजना वाली रचनाएं ही लोकप्रिय होती है और इसमें हमेशा से महिला रचनाकार आगे रही हैं। डॉ. चोपड़ा ने छात्राओं से कहा कि वे लेखन के क्षेत्र में आगे आएं। पुस्तकों से नातेदारी बढ़ाएं और नए-नए शब्दों से परिचित हों।
पुस्तक आशियाना का हुआ विमोचनकार्यक्रम के शुरुआत में लेखिका अपर्णा गोरे की पुस्तक ‘आशियाना’ का विमोचन किया गया। इस मौके पर महाविद्यालय में महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित महिला लेखिकाओं की पुस्तकों पर आधारित पुस्तक समीक्षा लेखन प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण भी किया गया।
पुरस्कार पाने वालों में शिक्षकाएं डा. नम्रता देब, डा. कस्तूरी भारद्वाज, डा. फातिमा नूरी, डा. रीना यादव, डा. प्रमा द्विवेदी, डा. सुकृति मिश्रा तथा शोधार्थियों में रुचि मिश्रा, अम्बुज, रत्नेश, शिखा मिश्रा, हिमालय, अंकिता, स्वाती आर्या, उपेन्द्र, आर्या पाण्डेय, शिवानी राय, राहुल, तथा अन्य छात्राओं सहित कुल 22 प्रतिभागी शामिल थे।
Hindi News / Prayagraj / जो समाज की ध्वनियों को सहेज सके, वही सफल रचनाकार है: डॉ चोपड़ा