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Mahakumbh 2025: अनोखी हैं महाकुंभ में पधारे संतों का बातें, आखिर क्या है बवंडर बाबा का उद्देश्य 

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पुरे देश के साधू-संतों का जुटान शुरू हो गया है। ऐसे में यहां अलग-अलग संकल्पों के साथ सनतान धर्म के कई साधू संत आने शुरू हो गए हैं। आइये बताते हैं क्या है इन साधू संतों के जीवन की कहानी और इनका जीवन दर्शन। 

प्रयागराजJan 05, 2025 / 08:33 pm

Nishant Kumar

Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पुरे देश से साधू-संतों का आगमन शुरू हो गया है। ऐसे में महाकुंभ में पधारे साधू-संतों के विभिन्न उद्देश्य हैं। कोई सनातन की अलख जगा रहा है तो कोई देवी देवताओं के अपमान के खिलाफ मुहीम चला रहा है। कोई दो पहिया वाहन से पंहुचा है तो कोई तीन पहिया गाडी से। 

संतों का कुंभ

महाकुंभ संतों का कुंभ है। इस बार महाकुंभ में पहुंचे बवंडर बाबा लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बवंडर बाबा मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। ये मोटरसाइकिल से महाकुंभ में पहुंचे हैं। गिजरात के लिंबडी से आए शिवरात्रीगिरि बाबा की भी अनोखी कहानी है। दिव्यांग होने की वजह से ये तिनपहिया वाहन से चलते हैं और उसी से महाकुंभ में पधारे हैं। 

बवंडर बाबा ने क्या कहा ? 

मध्य प्रदेश के इंदौर से आये बवंडर बाबा ने कहा कि मैं इस बात पर गंभीर चिंता जता रहा हूं कि हिंदू खुद हमारे देवी-देवताओं का अनादर क्यों कर रहे हैं ? हम इस ‘कुंभ क्षेत्र’ में हैं और मैंने पाया ‘बीड़ी’ का एक बंडल जिस पर भगवान शिव का चित्र है। मैंने इसके लिए 14 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। मुझे उम्मीद है कि यह सब रोकने के लिए कुछ कदम उठाए जाएंगे। 

शिवरात्रीगिरि बाबा ने क्या कहा ? 

गुजरात के लिंबडी से आये हिंदू संत शिवरात्रिगिरि महाराज ने बताया कि मैं विशेष रूप से सक्षम हूं और इसलिए मैं तीन-पहिया बाइक पर यात्रा करता हूं। मुझे यहां आने में 14 दिन लगे। बारिश के कारण 4 दिन बर्बाद हो गए। पहले की तुलना में बहुत कुछ बदल गया है। आज कुंभ में सेवाएं बेहतर हो गई हैं। 

महाकुंभ में पंहुचा निरंजनी अखाडा 

रविवार को निरंजनी आकड़े का हाथी-घोड़े और गाजे-बाजे के साथ नगर प्रवेश किया। इस दौरान रास्ते भर पुष्प वर्षा होती रही और अखाड़े के नागा संत शरीर पर भभूत धारण कर अस्त्र-शस्त्र लहराते हुए सबसे आगे चल रहे थे। नागा संत हाथी घोड़े और ऊंट पर सवार होकर सनातन की पताका को लहराते हुए आगे बढ़ते रहे। पेशवाई के दौरान सबसे आगे निरंजनी अखाड़े के आराध्य भगवान कार्तिकेय की पालकी थी।
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अखाड़े ने लहराया धर्म ध्वज 

महाकुंभ के शुरुआत में चंद दिन बाकी रह गए हैं। देश के तमाम जगहों से साधु-संत और अखाड़ों से जुड़े धर्मावलंबी महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। सोमवार को पंचायती निराजनै अखाड़ा ने अपना धर्म ध्वज संगम की रेत पर पुरे वैदिक रीति-रिवाजों के साथ लहराया।  

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