संतों का कुंभ
महाकुंभ संतों का कुंभ है। इस बार महाकुंभ में पहुंचे बवंडर बाबा लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। बवंडर बाबा मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। ये मोटरसाइकिल से महाकुंभ में पहुंचे हैं। गिजरात के लिंबडी से आए शिवरात्रीगिरि बाबा की भी अनोखी कहानी है। दिव्यांग होने की वजह से ये तिनपहिया वाहन से चलते हैं और उसी से महाकुंभ में पधारे हैं।बवंडर बाबा ने क्या कहा ?
मध्य प्रदेश के इंदौर से आये बवंडर बाबा ने कहा कि मैं इस बात पर गंभीर चिंता जता रहा हूं कि हिंदू खुद हमारे देवी-देवताओं का अनादर क्यों कर रहे हैं ? हम इस ‘कुंभ क्षेत्र’ में हैं और मैंने पाया ‘बीड़ी’ का एक बंडल जिस पर भगवान शिव का चित्र है। मैंने इसके लिए 14 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। मुझे उम्मीद है कि यह सब रोकने के लिए कुछ कदम उठाए जाएंगे।शिवरात्रीगिरि बाबा ने क्या कहा ?
गुजरात के लिंबडी से आये हिंदू संत शिवरात्रिगिरि महाराज ने बताया कि मैं विशेष रूप से सक्षम हूं और इसलिए मैं तीन-पहिया बाइक पर यात्रा करता हूं। मुझे यहां आने में 14 दिन लगे। बारिश के कारण 4 दिन बर्बाद हो गए। पहले की तुलना में बहुत कुछ बदल गया है। आज कुंभ में सेवाएं बेहतर हो गई हैं।महाकुंभ में पंहुचा निरंजनी अखाडा
रविवार को निरंजनी आकड़े का हाथी-घोड़े और गाजे-बाजे के साथ नगर प्रवेश किया। इस दौरान रास्ते भर पुष्प वर्षा होती रही और अखाड़े के नागा संत शरीर पर भभूत धारण कर अस्त्र-शस्त्र लहराते हुए सबसे आगे चल रहे थे। नागा संत हाथी घोड़े और ऊंट पर सवार होकर सनातन की पताका को लहराते हुए आगे बढ़ते रहे। पेशवाई के दौरान सबसे आगे निरंजनी अखाड़े के आराध्य भगवान कार्तिकेय की पालकी थी। यह भी पढ़ें