प्रयागराज

संगम की रेती पर तीन अखाड़ों ने घोषित किए 23 महामंडलेश्वर, दो महिलाएं शामिल

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में 3 अखाड़ों ने 23 महामंडलेश्वर घोषित किए हैं। इस सूची में दो महिलाएं भी शामिल हैं, जो 20 वर्षों से संन्यासिनी के रूप में जीवन व्यतीत कर रही हैं।

प्रयागराजJan 17, 2025 / 09:13 am

Sanjana Singh

महामंडलेश्वर बनाने से पहले गंगा में डुबकी लगाते किन्नर संत।

Mahakumbh 2025: प्रयागराज संगम की रेती पर तीन अखाड़ों में 23 महामंडलेश्वर बनाए गए, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। जूना अखाड़े ने गुजरात के प्रसिद्ध नाना भाई भरवार समाज से रामानंद गिरि उर्फ रामबाबू को महामंडलेश्वर की उपाधि दी। इसके अलावा, गर्गाचार्य मुचकुंद पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि ने गुजरात की मनीषा नंद गिरि और स्नेहानंद गिरि को महामंडलेश्वर बनाया। ये दोनों महिलाएं पिछले 20 वर्षों से संन्यासिनी के रूप में जीवन व्यतीत कर रही हैं।

किन्नरों का भी महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक

जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबा गिरि की प्रेरणा से मनीषा नंद गिरि और स्नेहानंद गिरि संन्यास के मार्ग पर आईं। इनका महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक सेक्टर 16 स्थित गर्गाचार्य शिविर में संपन्न हुआ। इस समारोह में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जगद्गुरु गर्गाचार्य महेंद्रानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी जय अंबा गिरि समेत कई संत उपस्थित रहे। सनातन धर्म को मजबूत करने और इसके प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से मेला क्षेत्र के सेक्टर 16 संगम लोअर मार्ग पर किन्नरों का भी महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया गया।
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11 आचार्यों की देखरेख में हुआ पिंडदान

यह आयोजन बृहस्पतिवार को किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के सानिध्य में आयोजित किया गया, जिसमें संन्यास दीक्षा की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इस प्रक्रिया के दौरान 11 आचार्यों की देखरेख में पिंडदान कराया गया और उसके बाद संन्यास की दीक्षा दी गई।

18 लोगों को दी गई जिम्मेदारी

किन्नर अखाड़ा में संन्यास प्रक्रिया शुरू करने वालों में उत्तर प्रदेश के काशी, वृंदावन, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के संत शामिल हैं। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि कुल 18 लोगों को महामंडलेश्वर, महंत और अन्य पदों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसमें पुरुष, महिलाएं और किन्नर सभी को अखाड़े में शामिल किया जाएगा।
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महानिर्वाणी अखाड़ा में दो संत बने महामंडलेश्वर

इसके अतिरिक्त, पंच दशनाम नागा संन्यासी महानिर्वाणी अखाड़ा में भी दो संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया। निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर सदा शिवेंद्रानंद और अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद की उपस्थिति में पट्टाभिषेक संपन्न हुआ। इस अवसर पर अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी महाराज और यमुना पुरी महाराज भी मौजूद रहे।

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