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23 साल बाद करवरिया बंधुओं पर आया फैसला, जानिए जवाहर पंडित हत्या केस की पूरी कहानी

जवाहर पंडित थे मुलायम सिंह यादव के करीबी

प्रयागराजNov 01, 2019 / 09:29 am

प्रसून पांडे

Jawahar pandit case full details karwaria bandhu guilty after 23 years

23 साल बाद करवरिया बंधुओं पर आया फैसला, जानिए जवाहर पंडित हत्या केस की पूरी कहानी

प्रयागराज | यूपी का बहुचर्चित सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड मामले में ट्रायल कोर्ट से करवरिया बन्धुओं को तगड़ा झटका लगा है। ट्रायल कोर्ट ने 23 साल लम्बी चली इस कानूनी लड़ाई में करवरिया बन्धुओं और एक अन्य हत्यारोपी को दोषी करार दिया है। एडीजे बद्री विशाल पाण्डेय ने जवाहर पंडित हत्याकाण्ड में फैसला सुनाते हुए आरोपी पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया उनके भाई पूर्व विधायक उदय भान करवरिया पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया और राम चंद्र त्रिपाठी को पूर्व विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में दोषी करार दिया है।

पहली बार जिले में चली थी एके 47
अदालत ने अब चार नवम्बर को चारों दोषियों की सजा का ऐलान करेगी। अदालत ने सभी पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद 18 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था। सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड के फैसले को लेकर उनकी पत्नी पूर्व विधायक विजमा यादव के साथ ही उनके बच्चों और समर्थकों की भी निगाहें लगी हुई थीं। बता दें कि झूंसी विधानसभा से सपा विधायक जवाहर यादव पंडित की हत्या 23 साल पहले 13 अगस्त 1996 को सिविल लाइंस में पैलेस सिनेमा और काफी हाउस के बीच एके 47 रायफल से गोलियां बरसाकर की गई थी। सपा विधायक जवाहर पंडित के साथ ही उनके ड्राइवर गुलाब यादव और एक राहगीर कमल कुमार दीक्षित की भी गोली लगने से मौत हो गई थी। जबकि विधायक पर हुए हमले में पंकज कुमार श्रीवास्तव और कल्लन यादव घायल हो गए थे। इस हत्याकांड पहली बार जिले में अत्याधुनिक हथियार का इस्तेमाल हुआ था । बताया जाता है की पहली बार एके.47 इलाहाबाद में चलाई गई थी। इस हत्याकांड के पीछे बालू खनन और शराब का कारोबार सहित सियासी वर्चस्व बताया जाता है।

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विजमा ने कहा अदालत पर था भरोसा
कोर्ट से आरोपियों को दोषी ठहराये जाने को लेकर जवाहर पंडित की पत्नी और पूर्व विधायक विजमा यादव ने कहा है कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा था कि उन्हें न्याय जरुर मिलेगा। जवाहर पंडित हत्याकांड के मामले में उनके भाई सुलाकी यादव की ओर से सिविल लाइंस थाने मे करवरिया बंधुओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था। सिविल लाइन्स थाने के बाद मुकदमे की विवेचना सीबीसीआईडी ने भी की और आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था। मुकदमे के दौरान सालों तक हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के चलते मुकदमे की सुनवाई भी नहीं हो सकी थी।

सरकार ने लिया मुकदमा खत्म करने का फैसला
प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद सरकार ने करवरिया बंधुओं से मुकदमा वापस ले लिया था। जिसका विरोध पूर्व विधायक विजमा यादव ने किया और अदालत में कानूनी लड़ाई भी लड़ी। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार के फैसले को यह कहते हुए वापस लौटा दिया था कि ट्रायल कोर्ट में चल रहे मुकदमें की सुनवाई फैसले के करीब है। मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपियों को सजा दिलाने के लिए अभियोजन की तरफ से जहां 18 गवाहों के बयान दर्ज कराये गए थे। वहीं करवरिया बंधुओं को निर्दोष साबित करने के लिए बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाहों को कोर्ट में पेश किया गया था। इस मामले भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और मौजूदा समय में राजस्थान के गवर्नर कलराज मिश्रा की भी गवाही हुई थी।

मालखाने से गायब हुए थे सबूत
दो दशक बाद जब 2014 में जवाहर पंडित हत्याकांड में दो दशक बाद शुरू हुई सुनवाई में तब नया मोड़ आया था। जब अदालत ने साक्ष्य पेश करने का आदेश दिया जिसके बाद माल खाने में हत्याकांड से जुड़े साक्ष्य नदारद थे। हत्याकांड से जुड़े बुलेट कारतूस और कपड़े नहीं मिले। अदालत में सुनवाई करते हुए इस मामले में तत्कालीन सिविल लाइंस के इंस्पेक्टर और मौजूदा समय में सीबीसीआईडी वाराणसी में तैनात लेकिन निगम सहित माल खाने में तैनात तत्कालीन सिपाही मोहम्मद कलीम प्रभारी हरिराम चौधरी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था विधायक हत्याकांड में बरामद हुए कपड़े को दीमक खा गए थे।

फैसले के बाद पसरा सन्नटा
फैसले के दिन भी बेहद गहमा गहमी वाला माहौल रहा। दोनों पक्षों से समर्थकों कि भारी भीड़ कचहरी परिसर में जमा रही है। सुरक्षा के लिहाज से भारी फोर्स तैनात की गई थी। करवरिया बंधु नैनी जेल से लगभग 1 :45 पर कचहरी परिसर में पहुंचे । इस दौरान उनके साथ उनके समर्थकों और प्रशासन की भारी भीड़ मौजूद रहे करवरिया बंधुओं को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एडीजे फर्स्ट अदालत तक ले जाया गया । जहां लगभग 2:20 पर अदालत बैठी और थोड़ी देर बाद अपना फैसला सुनाया। जैसे करवरिया बंधुओ पर दोष सिद्ध होने का जज ने फैसला सुनाया। करवरिया बंधु के खेमे में सन्नाटा पसर गया। उनके परिवार के साथ हजारों कार्यकर्ताओं की भीड़ सकते में आ गई। फैसला सुनाने के एक घंटे तक लगभग करवरिया बंधु समेत रामचंद्र पार्टी अदालत कक्ष में ही बैठे रहे। इसके बाद उन्हें भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच निकाला गया।

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