संतों के विचारों से प्रभावित हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, भारतीय परंपराओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त की
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि दल ने महाकुम्भ के दौरान विभिन्न अखाड़ों का भ्रमण किया। यहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की और महाकुम्भ के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जाना। साधु-संतों ने महाकुम्भ की प्राचीन परंपराओं, अखाड़ों की भूमिका और भारतीय संस्कृति की महिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि संतों के विचारों से गहरे प्रभावित हुए और उन्होंने भारतीय धार्मिक परंपराओं के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की।
महाकुम्भ ने सिखाया कि दुनियाभर के लोग इकट्ठे हो सकते हैं, भले ही उनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अलग-अलग हो
महाकुम्भ का आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ में भी एकता का प्रतीक है। महाकुम्भ के दौरान 10 देशों के 21 प्रतिनिधियों ने इस आयोजन की भव्यता और उसकी वैश्विक पहचान को नजदीक से महसूस किया। महाकुम्भ ने दुनिया को यह संदेश दिया कि दुनिया के विभिन्न कोनों से लोग एकत्रित हो सकते हैं, भले ही उनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अलग-अलग क्यों न हो।
फिजी, गुयाना से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक के प्रतिनिधि पहुंचे, भारतीय संस्कृति से हुए अभिभूत
महाकुम्भ में फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि पहुंचे हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि दल ने महाकुम्भ का दौरा करके भारतीय संस्कृति की विविधता और धार्मिक एकता का अनुभव किया। सभी यहां की संस्कृति से अभिभूत नजर आए।उनके लिए यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा लेने का भी एक शुभ अवसर है।