इटली के एलेस्सो बने भाषनाथ
गोरा चिट्टा शरीर। छह फीट से ज्यादा लंबाई। शरीर पर कई जगह आभूषण पहनने के लिए बनवाए गए छेद (पियसिंग) हैं। भभूत से चमकता चेहरा। कमर में बंधा मग सिर पर बड़ा सा जूड़ा। गले में रुद्राक्ष समेत कई मालाएं। ऐसी वेश-भूषा बना रखी है इटली के रहने वाले एलेस्सो ने। वह अघोरी बन गए हैं। नाम है, भाषनाथ।
‘इटली में नहीं लगता मन’
एलेस्सो कहते हैं, एक वर्ष से सभी बुरी आदतों से दूर हूं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एलेस्सो का कहना है कि अब उनका मन इटली में नहीं लगता। वहां उनके पास अच्छी नौकरी थी। उनकी मानें तो करीब तीस गर्लफ्रेंड थीं। उनका जीवन पश्चिमी संस्कृति की आधुनिकता और तकनीकी सुविधाओं से भरा हुआ था लेकिन, जीवन में शांति नहीं थी । इसीलिए वह भारत आते रहते हैं। साधु-संतों के जीवन पर अध्ययन के दौरान बदल गया मन
कुछ वर्ष पूर्व वह भारत आए। साधु-संतों के जीवन पर गहराई से अध्ययन किया और धीरे- धीरे खुद इस जीवनशैली के करीब होते गए। अब उनका मन यहीं लगता है। आपको बता दें कि अघोर पंथ भारतीय तांत्रिक परंपरा का हिस्सा है, जो शिव की आराधना पर आधारित है। यह पंथ मृत्यु, मोक्ष और आत्मज्ञान को समझने का मार्ग प्रदान करता है।