चिकित्सा संस्थानों पर पहुंचने वाले कुल रोगियों में से 15 प्रतिशत लोग डायबिटिज से ग्रसित मिले है जबकि 10 प्रतिशत लोग बीपी से ग्रसित मिल रहे है। चिकित्सा सूत्रों के अनुसार यह आंकड़े 30 से 45 वर्ष के आयु वर्ग के है।
सात वर्षों से की जा रही स्क्रीनिंग
जिले में 2017 से इस योजना के तहत स्क्रीनिंग की जाने लगी है। इसके तहत जिला चिकित्सालय में स्क्रीनिंग की जा रही है। इनमें से 15 प्रतिशत युवाओं में डायबिटिज, बीपी, जबकि 10 प्रतिशत लोगों में दोनों बीमारी पाई गई। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों के चिकित्सा संस्थानों में भी जांच की जा रही है।
पुरुषों में अधिक
स्क्रिनिंग में सामने आया है कि शुगर की बीमारी महिला के बजाए पुरुषों में अधिक है। जिला चिकित्सालय में आंकड़ों के अनुसार, पुरुषों में अधिक बीमारी पाई जाती है। नजरअंदाज करते हैं युवा
सामन्य तौर पर 25 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के युवा छोटी-सी बीमारी को भी नजर अंदाज करते है जबकि चिकित्सा विभाग का मानना है कि इस वर्ग के लोगों में बीपी और शुगर की बीमारी शुरू होने पर आगे जाकर अन्य बीमारियां भी घर कर जाती है। जो बाद में बढ़ जाती है और व्यक्ति रोग से ग्रसित हो जाता है। जबकि चिकित्सा विभाग बीपी और शुगर को बीमारियों का खेत मानते है।
स्वस्थ रहने के लिए स्क्रीनिंग कराएं
व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए चिकित्सा संस्थानों में जांच कराते रहना चाहिए। चिकित्सालय में 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। अब तक जांच में सामने आया है कि युवा वर्ग में बीपी और शुगर की बीमारी अधिक हो रही है। ऐसे में युवाओं को अभी से जीवन शैली में बदलाव करना जरूरी है। जबकि ये दोनों बीमारियां ही अनय बीमारियों को जन्म देती है। इन बीमरियों से बचाव के लिए अभी से सावचेत रहना चाहिए। – डॉ. ओ.पी. दायमा, पीएमओ, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़