बता दें कि पश्चिम बंगाल का ये पंचायत चुनाव बहुत समय से विवादों से घिरा हुआ है। जब से राज्य चुनाव आयोग ने तीन चरणों में पंचायत चुनाव कराने का फैसला किया था तभी से इसमें अटकनें शुरु हो गई थी। जहां एक तरफ पार्टियों ने सुरक्षा पर सवाल उठाए वहीं दूसरी ओर नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा के आरोप-प्रत्यारोप लगे।
चुनाव और विवाद का पुराना रिश्ता एक ही परिवार के दो लोगों का चुनाव मैदान में उतरना और फिर चुनाव के दौरान विवादों का पुराना रिश्ता है। लेकिन इस चुनाव में अगल-अगल राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के आपसी
रिश्ते ही दांव लग गए हैं। यहां हम बात कर रहे हैं, एक पति-पत्नी और एक पिता-पुत्र की जिन्होंने इस पंचायत चुनाव के लिए अपने रिश्तों को तोड़ना सही समझा। यहीं नहीं ऐसे ही ना जाने कितने रिश्तों की बली चढ़ गई इस राजनीतिक फेर में।
प. बंगाल पंचायत चुनाव: ममता सरकार को लगा झटका, SC ने हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द राजनीति से अलग हुए पति-पत्नी मामला पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले का है। जहां पर एक पति तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो पत्नी भाजपा के टिकट के लिए मैदान में उतरी हैं। राजनीति के इस खेल में दोंनो के बीच इतनी कड़वाहट आ गई कि दोनों ने अलग-अलग रहने का फैसला तक ले लिया। दोनों ही विपक्ष की पार्टियों के उम्मीदवार होने के कारण, दोनों में कड़वाहट इस कदर बढ़ गई कि पत्नी ने पति से अलग मायके में रहने का मन बना लिया यहां तक कि दोनों में बातचीत तक भी बंद हो गई है।
पिता ने पुत्र को घर से निकाला वहीं दूसरा मामला अलीपुरद्वार जिले का है, जहां एक पिता ने अपने बेटे को इसलिए घर से निकाल दिया क्योंकि बेटा भाजपा का उम्मीदवार है। लाख समझाने पर भी बेटे ने जब नाम वापस नहीं लिया तो पिता ने बेटे की घर-निकासी कर दी। बताया जा रहा है कि 68 साल के रिटायर्ड स्कूल टीचर भोगनारायण दास तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो बेटा उसी सीट से भाजपा की सीच पर चुनाव लड़ रहा है। विपक्षी दल के इस खेल में बाप-बेटे का रिश्ता ऐसे फंसा कि खत्म ही हो गया।
पंचायत चुनावः हिंसक झड़पों के बीच पश्चिम बंगाल में मतदान शुरू, 2019 के चुनाव पर पड़ेगा ये असर ये मामला पश्चिम बंगाल में अब मतदान से भी ज्यादा चर्चा में है। लोगों में कई तरह की कानाफुस्सी भी शुरु हो गई है। आसपास के लोगों में से किसी का कहना है कि इस चुनाव ने कई परिवार तोड़ दिए वहीं कुछ लोगों का मानना हो कि राजनीतिक पार्टी का चयन करना किसी भी व्यक्ति का निजी अधिकार है।
फिलहाल, अभी पंचायत चुनाव पर मतदान जोरों पर है। आगे इसका क्या परिणाम होगा वो मतगणना के बाद ही पता चलेगा।