तय शेड्यूल के मुताबिक रावत को पहली मुलाकात के बाद ही उत्तराखंड लौट जाना था, लेकिन शाह और नड्डा से पहली मुलाकात के बाद स्थिति साफ नहीं हुई। लिहाजा अचानक रावत ने अपने लौटने का मन बदलकर दिल्ली में ही टिकने का फैसला लिया। हालांकि काफी मंथन के बाद आखिरकार रावत को 115 दिन सरकार चलाने के बाद इस्तीफा देना पड़ा। इस घटनाक्रम के बीच शनिवार दोपहर तीन बजे उत्तराखंड बीजेपी विधानसमंडल की बैठक आयोजित होगी।
यह भी पढ़ेंः
Uttarakhand Political Crisis: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने की इस्तीफे की पेशकश पहली मुलाकात के बाद ऐसा था बयानदरअसल तीरथ सिंह रावत ने जब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से पहली मुलाकात की उनका बयान कुछ अलग ही था। रावत ने कहा था कि उन्होंने आगामी चुनाव व राज्य के विकास को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा की है। उनके इस बयान से साफ जाहिर था कि वे इस्तीफा देने के मूड में नहीं थे।
रावत ने सबसे पहले बुधवार को देर रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। तय शेड्यूल के मुताबिक रावत को इस मुलाकात के बाद गुरुवार वापस लौटना था। लेकिन बातचीज में कोई पेंच फंसा और रावत ने अचानक अपने लौटने का फैसला टाल दिया।
इसके बाद एक दिन छोड़कर यानी शुक्रवार को एक बार फिर भाजपा अध्यक्ष से मिले। तब तक उत्तराखंड के सियासत गर्माने लगी थी। रावत के भविष्य को लेकर भी कई तरह की अटकलें लगना शुरू हो गई थी।
महज 115 दिन बने सीएम
10 मार्च को सूबे की कमान संभालने वाले तीरथ सिंह रावत को चार महीने भी नहीं हुए कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ गया। वे सिर्फ 115 दिनों तक ही बतौर सीएम काम कर सके हैं। वे सबसे कम कम अवधि वाले सीएम भी बन गए हैं। अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितम्बर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है।
चुनाव को लेकर आयोग करेगा फैसला
प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। कोरोना काल में चुनाव आयोग ने सभी तरह के चुनाव रोक रखे हैं। ऐसे में उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है।
यह भी पढ़ेंः Uttarakhand Political Crisis: सुबह 11 बजे राज्यपाल से मिलेंगे सीएम रावत सीएम के लिए इन चार नामों की चर्चामुख्यमंत्री पद की रेस में चार नामों की चर्चा जोरों पर है। इसमें पहले राज्य सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत का नाम सबसे आगे चल रहा है। रावत श्रीनगर विधानसभा से विधायक हैं। धन सिंह आरएसएस कैडर से आते हैं और उत्तराखंड बीजेपी में संगठन मंत्री भी रह चुके हैं। संघ के करीबी होने की वजह से इनको मौका मिलने का ज्यादा संभावना है।
इसके अलावा उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत भी सीएम पद के दावेदारों में शामिल हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में बताया जा रहा है। हरक सिंह रावत के पास इस समय आयुष और आयुष शिक्षा समेत कई महत्वपूर्ण विभाग हैं।
वहीं सीएम दौड़ में जिस चौथे नाम की चर्चा है वो है पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज। सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सभी विधायकों को मौजूद रहने की हिदायत
अब भारतीय जनता पार्टी (
BJP ) की प्रदेश इकाई ने शनिवार को प्रदेश पार्टी मुख्यालय में अपने विधानमंडल दल की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक के लिए पार्टी के सभी विधायकों को मौजूद रहने की सूचना दे दी गई है।