लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने शुक्रवार को संसद परिसर में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि कोरोना के चलते कठिन और आसाधारण परिस्थितियां थी। इसके बावजूद संसद का मानसून सत्र को आयोजित करना भी जरूरी था। यह जिम्मेदारी सांसदों के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित हुआ।
लोकसभा अध्यक्ष ने ने कहा कि संसदीय कार्यवाही के दौरान जनता से जुड़ी आवश्यक मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें हर सांसद को बोलने का मौका दिया गया। खासतौर पर कोरोना महामारी जैसे मुद्दे पर अधिकांश सांसदों ने अपनी बात रखी। यह चर्चा 5 घंटे से अधिक समय तक चली। उन्होंने कहा कि सांसदों की उपस्थिति सामान्य हालात में हुए सत्रों के बराबर ही रही। सत्र के पहले दिन 369 सांसद सदन पहुंचे।
कृषि बिल पर किसानों से चर्चा के बाद बोले Rahul Gandhi, मोदी सरकार पर उन्हें रत्ती भर भरोसा नहीं 78 में से 63 महिला सांसदों को सदन में बोलने का मिला मौका लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ( Om Birla ) ने बताया कि लोकसभा में 78 महिला सांसद हैं। मानसून सत्र के दौरान इनमें से 63 महिला सांसदों को विभिन्न विषयों पर बोलने का मौका मिला।
3.51 घंटे का व्यावधान लोकसभा की कार्यवाही जहां 60 घंटे चली, वहीं विभिन्न मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष के बीच विवाद होने के चलते 3 घंटे 51 मिनट का व्यवधान भी रहा। इस पर बिरला ने कहा कि अलग-अलग दलों की विचारधाराएं अलग-अलग होती हैं। इसलिए वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है। वैसे भी हमारा देश विविधता में एकता से भरा हुआ है।
कोरोना काल में भी ऐतिहासिक रहा सदन का संचालन, Lok Sabha में हर दिन पहुंचे 370 सांसद शून्य काल 10 घंटे 23 मिनट का शून्य काल ओम बिरला ने कहा कि शून्य काल में 370 लोकमहत्व के मुद्दे उठाए गए। 20 सितंबर को देर रात तक 88 और 22 सितंबर को 85 सांसदों ने शून्यकाल में अपनी बात रखी। सत्र के दौरान कुल 10 घंटे 23 मिनट का शून्य काल रहा।
8700 से अधिक कोरोना जांच बिरला ने बताया कि संसद परिसर में आने वाले सभी सांसदों के साथ कर्मचारियों व अन्य लोगों की बड़े पैमाने पर जांच की गई। इस दौरान 8700 से अधिक कोरोना टेस्ट कराए गए।