उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पूरी तरह राफेल डील सौदे में लिप्त हैं और वे अभी तक अपने को पाक साफ साबित करने में असफल रहे हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में दिए गए बयान से राफेल डील में घोटाले की पुष्टि होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में पार्टी अध्यक्ष शरद पवार द्वारा प्रधानमंत्री के बचाव में आने से वे पूरी तरह असहमत हैं। यह पूछने पर कि वह किस पार्टी में जाएंगे? इस पर उन्होंने कहा कि अभी इस मामले में कोई फैसला नहीं किया है। कार्यकर्ताओं से राय मशवरे के बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
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कांग्रेस की मांग को अनुचित ठहराया
आपको बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने रफाल सौदे पर मोदी सरकार को क्लीन चिट देने की खबर सामने आई थी। उन्होंने कहा था कि लोगों को पीएम मोदी की नीयत पर कोई शक नहीं है। पवार ने रफाल के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा की और इस मुद्दे पर कांग्रेस की मांग को अनुचित ठहराया था। हालांकि उन्होंने कहा था कि रफाल विमान की कीमत बताने में केंद्र सरकार को कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। हालांकि अभी तक तारिक अनवर की तरफ से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
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पीएम की मंशा पर कोई संदेह नहीं
बता दें कि गुरुवार को राफेल मामले पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मोदी सरकार का समर्थन करने की खबर आई थी, जिस पर बाद में एनसीपी ने सफाई देते हुए कहा था कि ऐसी कोई बात नहीं कही गई है। दरअसल, रफाल डील पर पवार के पीएम मोदी के समर्थन की खबर सामने आई थी। पवार ने टिप्पणी कर कहा था कि लोगों को सौदे में पीएम की मंशा पर कोई संदेह नहीं है। पवार ने यह कहकर पीएम मोदी का तो समर्थन किया था, लेकिन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि जिस तरह से सीतारमण ने रफाल डील को लेकर सरकार का पक्ष को रखा, उससे लोगों के मन में शंका पैदा हुई है।
उठाया था विदेश मूल का मुद्दा
आपको बता दें कि 1999 में जब सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली तो शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने विदेश मूल का मुद्दा उठाकर पार्टी से बगवात कर दी थी। इसके बाद तीनों नेताओं ने मिलकर नई पार्टी एनसीपी का गठन किया था। हालांकि, बाद में जब सप्रंग की केंद्र में सरकार बनी को एनसीपी कांग्रेस के साथ आ गई थी।