शिरोमणि अकाली दल के इस रुख को मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। साथ ही विरोधी दलों को देशभर में मोदी सरकार विरोध में सियासी वातावरण तैयार करने का अवसर भी मिलेगा।
J P Nadda : पीएम मोदी ने देश को वोट बैंक के दुष्चक्र से बाहर निकाला, विकास की राजनीति की किसानों की मेहनत को बर्बाद करने वाला बिल लोकसभा में विधायक पर चर्चा के दौरान शिरोमणि अकाली दल के सांसद सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी है। हमने किसानों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया लेकिन बिल से किसान विरोधी प्रावधानों को हटाने में सफल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि पंजाब में कृषि आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए हर सरकार ने कठिन काम किया लेकिन यह अध्यादेश उनकी 50 साल की मेहनत को बर्बाद कर देगा।
यही वजह है कि गुरुवार को जब कृषि संबंधी तीनों विधेयक लोकसभा में पेश किया गया तो अकाली दल के सांसद सुखबीर सिंह बादल ने इसका विरोध किया। हरसिमरत कौर बादल ने तो मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा तक दे दिया। हरसिमरत कौर के पास केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की जिम्मेदारी थी।
Rahul Gandhi ने पहले पीएम मोदी को दी जन्मदिन की बधाई, फिर बेरोजगारी के मुद्दे पर साधा निशाना किसानों को मिलेगा लाभकारी मूल्य अकाली दल के विरोध के उलट केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि किसानों से जुड़े तीनों विधेयक आने वाले समय में क्रांतिकारी साबित होंगे। इससे किसानों अपने उपज के लिए लाभकारी मूल्य हालिस कर पाएंगे। इस विधेयक से राज्य के कानूनों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
विपक्ष का आरोप दूसरी तरफ तीनों बिल को कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने किसान विरोधी करार दिया है। साथ ही कहा कि बिल में शामिल प्रावधानों से एमएसपी का सुरक्षा कवज कमजोर होगा। बड़ी कंपनियों को किसानों के शोषण का अवसर मिलेगा।
विधेयक में क्या-क्या शामिल है किसान कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक के आधार पर किसान अपनी उपज को कहीं भी बेच सकेंगे। अब किसान के फसलों की ऑनलाइन बिक्री होगी और इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान समझौता विधेयक से किसानों की आय बढ़ेगी। बिचौलिए खत्म होंगे और आपूर्ति चेन तैयार होगा। जबकि आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू-प्याज अनिवार्य वस्तु नहीं रहेंगी। इनका भंडारण होगा। इससे कृषि में विदेशी निवेश आकर्षित होगा।
बिल का विरोध क्यों? इन बिलों से मंडियां खत्म होने का डर किसानों को सता रहा है। किसानों को एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। इन बिलों में कीमतें तय करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है। किसानों को पूरी तरह से बड़ी कंपनियों व स्थानी व्यापारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है। इससे निजी कंपनियों को किसानों के शोषण का मौका मिलेगा। किसान मजदूर बनकर रह जाएंगे। जमाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। कीमतों में अस्थिरता आएगी। खाद्य सुरक्षा खत्म हो जाएगी। इससे आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी बढ़ावा मिल सकता है।
बता दें कि लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य, संवर्द्धन और सुविधा विधेयक-2020; कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण, कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 साढ़े पांच घंटे की चर्चा के बाद पारित हो गया। विपक्ष ने तीनों बिलों को किसान विरोधी बताते हुए चर्चा के दौरान सदन से वॉकआउट किया था।