यहां की सभी सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी आगे हैं। पीएम मोदी को अपने गृह राज्य में पार्टी को 62.2 फीसदी और कांग्रेस को 32.1 फीसदी वोट मिले हैं।
हरियाणा की सभी 10 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार आगे हैं। यहां 58 फीसदी वोट भाजपा को मिले हैं । कांग्रेस 28.4 फीसदी वोट हासिल करने के बाद भी एक सीट नहीं जीत सकी। रालोद को मात्र 1.90 फीसदी और बसपा को 3.62 फीसदी वोट मिले हैं।
हिमाचल की 4 सीटें भाजपा के खाते में जाती दिख रही हैं। यहां पर 69 फीसदी वोट भाजपा और 27.4 फीसदी वोट कांग्रेस को मिले हैं।
उत्तराखंड की सभी 5 सीटों पर भाजपा आगे है। यहां पर भाजपा को 60.7 फीसदी और कांग्रेस को 31.6 फीसदी वोट मिले हैं। 5. झारखंड
प्रदेश 11 सीटों पर भाजपा बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस एक और अन्य को 2 सीटें मिलती दिख रही हैं। हालांकि 50 फीसदी वोट शेयर भाजपा के खाते में गए हैं। कांग्रेस को 15.6% वोट और झारखंड मुक्ति मोर्चा को 11.9 फीसदी वोट मिले हैं।
राज्य की 28 सीटों में से भाजपा 25 सीटों पर आगे चल रही है। यहां कांग्रेस और जेडीएस के उम्मीदवार केवल 1-1 सीट पर आगे हैं। भाजपा को 51.3 फीसदी और कांग्रेस को 31.9 फीसदी और जेडीएस को मात्र 9.7 फीसदी वोट मिले हैं।
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान की 25 सीटों में से 15 पर भाजपा जीत चुकी है और 9 पर आगे है। 58.5 फीसदी वोट भाजपा और कांग्रेस को 34.2 फीसदी वोट मिले हैं।
29 सीटों वाले मध्य प्रदेश में भाजपा 28 सीटों पर आगे है। कांग्रेस पार्टी को मात्र एक सीट पर बढ़त मिली है। यहां भाजपा को 58 फीसदी वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस को 34.5 फीसदी वोट मिले।
पिछली बार की तरह इस बार भी दिल्ली की सभी सातों सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। यहां सबसे ज्यादा 56.6 फीसदी वोट भाजपा को मिले हैं। कांग्रेस को 22.4 फीसदी जबकि आम आदमी पार्टी को 18.1 फीसदी वोट मिले हैं।
तीनों स्थानों पर भाजपा को 50 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं। 2 सीटों वाले अरुणाचल में भाजपा को 57.6 फीसदी, चंडीगढ़ में 50.1 फीसदी वोट मिले हैं। गोवा की एक सीट पर भाजपा तो एक सीट पर कांग्रेस आगे है। गोवा में 50.6 फीसदी वोट भाजपा को मिले हैं। त्रिपुरा की सभी 2 सीटों पर भाजपा आगे है और पार्टी को 48.7 फीसदी वोट मिले हैं।
यूपी में 62 सीटों पर एनडीए को बढ़त मिली है। वोट शेयर देखें तो 49.5 फीसदी वोट भाजपा के पक्ष में पड़े हैं। बीएसपी को 19.3 फीसदी, एसपी को 18.1 फीसदी वोट मिले। अगर अपना दल के वोट शेयर को मिला दें तो यह 50 फीसदी वोट शेयर को पार कर जाता है।
प्रदेश की 42 सीटों में से टीएमसी को 22 सीटों पर बढ़त मिली है। वहीं 18 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। कांग्रेस मात्र 2 सीटों पर आगे है। प्रतिशत के लिहाज से देखें तो भाजपा और टीएमसी के बीच जबर्दस्त फाइट देखने को मिलती है। यहां टीएमसी को 43.4 फीसदी और भाजपा को 40.2 वोट मिले।
राज्य की 6 सीटों में से भाजपा 3 और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 3 सीटें मिली हैं। भाजपा को सबसे ज्यादा 46.1 फीसदी वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस को 28.7 फीसदी लेकिन वह सीट जीतने में नाकाम रही। पीडीपी को मात्र 2.39 फीसदी और नेशनल कॉन्फ्रेंस केवल 7.98 फीसदी वोट पाकर भी तीन सीटें जीतती दिख रही है।
यहां की 48 सीटों में से भाजपा 23 पर आगे और शिवसेना 18 सीटें जीतती दिख रही है। कांग्रेस एक और एनसीपी 4 सीटों पर आगे है। एआईएआईएम और अन्य को 1-1 सीटें मिल सकती हैं। जहां तक वोटो की बात है तो भाजपा को सबसे ज्यादा 27.6 फीसदी, शिव सेना को 23.3 फीसदी, कांग्रेस को 15.8 फीसदी, NCP को 15.8 फीसदी वोट मिले हैं।
यहां पर 14 में से 9 सीटों पर भाजपा और 3 सीटों पर कांग्रेस आगे है। असम में भाजपा भले ही ज्यादा सीटें जीत रही हो पर उसका वोट शेयर कांग्रेस के लगभग बराबर है। भाजपा को यहां पर 35.3% तो कांग्रेस को 35.2% वोट मिले हैं।
40 सीटों वाले बिहार में भाजपा 17, जेडीयू 16 सीटों और लोक जनशक्ति पार्टी 6 और कांग्रेस एक सीट पर आगे है। जहां तक वोट शेयर की बात है तो राज्य में सबसे ज्यादा वोट 23.9 फीसदी भाजपा को, जेडीयू को 21.6 फीसदी और एलजेपी को 7.81% वोट मिले हैं। आरजेडी को 15.5 फीसदी वोट मिले हैं पर उसके खाते में एक भी सीट आती नहीं दिख रही है। 7.81 फीसदी वोटों के साथ कांग्रेस केवल एक सीट पर आगे है।