गैर भाजपा और गैर कांग्रेस सरकार को लेकर मिले दक्षिण के दो दिग्गज नेता, सियासी संभावनाओं पर की बातचीत यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के लिए राजनीतिक हिंसा की घटनाएं एक ऐसी चुनौती के रूप में सामने आई हैं जिसके रहते राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान कराना असंभव जैसा हो गया है।
पश्चिम बंगाल में चुनावी खूनी खेल का इतिहासः 1960 के दशक का चुनावी हथियार पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा 1960 के दशक में चुनावी हथियार रहे हैं। वहां पर हमेशा से शासन और प्रशासन पर सत्ताधारी दल अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए ऐसे हथियारों का उपयोग करते आए हैं। दशकों से जारी राजनीतिक हिंसा का यह खूनी खेल के पीछे तीन अहम कारण हैं। इन कारणों में राज्य में बढ़ती बेरोजगारी, विधि शासन पर सत्ताधारी दल का वर्चस्व के साथ एक प्रमुख कारण भाजपा का पश्चिम बंगाल में उभार होना है।
ऑगस्ता वेस्टलैंड केस: सीबीआई कोर्ट ने राजीव सक्सेना के पासपोर्ट को रदद करने के मामले में मांगा जवाब 30 साल में हुईंं 28 हजार राजनीतिक हत्याएं पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक जनप्रतिनिधि की ओर से पूछे सवाल के जवाब बताया गया कि 1977 से 2007 तक लेफ्ट फ्रंट की सरकार सत्ता में रही। इस दौरान पश्चिम बंगाल में 28,000 राजनीतिक हत्याएं हुईं। सिंगूर और नंदीग्राम का आंदोलन भी वाम हिंसा का एक नमूना माना जाता है। इसके अलावे भी ढेरों घटनाएं ऐसी हैं जो कभी दर्ज ही नहीं हुईं।
बिहार: मुजफ्फरपुर के एक होटल से 6 EVM मशीनें बरामद, DM ने दिए विभागीय जांच के आदेश 2014 में 14 की हत्या आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2014 के विभिन्न चरणों में दौरान 15 राजनीतिक हत्याएं हुईं। प्रदेश भर में राजनीतिक हिंसा की 1100 घटनाएं पुलिस ने दर्ज की। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2013 से लेकर मई 2014 के काल में पश्चिम बंगाल में 23 से अधिक राजनीतिक हत्याएं वहां पर हुईं।
सुप्रीम कोर्ट में VVPAT पर अहम सुनवाई आज, 50% पर्ची मिलान की मांग अड़े हैं विपक्षी दल 2018 पंचायत चुनाव में हिंसा की घटनाएं पश्चिम बंगाल में 2018 पंचायत चुनावों के दौरान हुई व्यापक हिंसा को लेकर भाजपा ने दावा किया था कि चुनाव के दौरान पार्टी के 52 कार्यकर्ताओं की हत्या टीएमसी ने कराई जबकि टीएमसी ने दावा किया था कि उसके 14 कार्यकर्ता मारे गए थे। भाजपा ने इस बात का भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी ने 34 प्रतिशत ग्राम पंचायत सीटों को निर्विरोध जीत लिया था क्योंकि उसने विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोक दिया था।
लोकसभा चुनावः हिंसक टकराव के बाद क्या भगवा ब्रिगेड वामपंथ के आखिरी ‘किले’ में सेंध लगा पाएगी? 2019ः मतदान के विभिन्न चरणाेें में हिंसक घटनाएं 1. लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण में पश्चिम बंगाल में करीब 83 फीसदी मतदान हुआ। लेकिन अलीपुरदुआर और कूच बिहार में टीएमसी और भाजपा समर्थकों में हिंसा हुई। टीएमसी समर्थकों ने लेफ्ट फ्रंट प्रत्याशी गोविंदा राय पर हमला किया और उनकी गाड़ी तोड़ दी।
2. द्वितीय चरण में 81 फीसदी मतदान हुआ। रायगंज के इस्लामपुर में सीपीआई एम सांसद मो. सलीम की कार पर टीएमसी समर्थकों ने पत्थरों और डंडों से हमला किया। सलीम इस घटना में बाल बाल बच गए।
3. तृतीय चरण में 81.97 फीसदी मतदान हुआ। इस चरण में हिंसा की 1500 शिकायतें चुनाव आयोग को मिलीं। इस चरण में बूथों पर बमबारी की घटनाएं भी हुईं। मुर्शिदाबाद में 56 वर्षीय कांग्रेस समर्थक की टीएमसी समर्थकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। कोलकाता में हिंसा की घटनाओं में शामिल 60 लोग गिरफ्तार हुए।
4. चतुर्थ चरण में 82 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ। आसनसोल में टीएमसी कार्यकर्ताओं और सुरक्षाबलों में जमकर झड़पें हुईं। टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सांसद बाबुल सुप्रियो पर हमला बोला और उनकी कार के शीशे तोड़ दिए।
5. पंचम चरण का मतदान 6 मई को हुआ। बैरकपुर में भाजपा और टीएमसी समर्थकों के बीच झड़पें हुई। भाजपा प्रत्याशी अर्जुन सिंह ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमला करने का आरोप लगाया।
स्मृति ईरानी ने प्रियंका गांधी पर कसा तंज, कहा- ‘अब रॉबर्ट वाड्रा का कम, मेरा नाम ज्यादा लेती हैं’ Indian Politics से जुड़ी
Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..
Lok sabha election Result 2019 से जुड़ी ताज़ातरीन ख़बरों, LIVE अपडेट तथा चुनाव कार्यक्रम के लिए Download patrika Hindi News App.