जेपी नड्डा ने बिहार चुनाव की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर संभालते हुए। चुनाव के दौरान ताबड़तोड़ 22 रैलियां कीं। इस दौरान उनके सामने नीतीश कुमार से लोगों की नाराजगी जैसे मुद्दों के साथ कोरोना वायरस जैसी महामारी का संकट भी सामने खड़ा था।
अध्यक्ष बनने के बाद जेपी नड्डा के लिए ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण था। क्योंकि इसके परिणाम उनके नेतृत्व के साथ-साथ बीजेपी के आगे भविष्य को भी तय करने वाले थे। ऐसे में जेपी नड्डा ने ना सिर्फ खुद चुनावी मैदान को संभाला बल्कि प्रदेश ईकाई से लगातार संपर्क में रहकर हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखा।
अपने भाषणों में जेपी नड्डा ने लगातार महागठबंधन पर वार किया। फिर चाहे वो तेजस्वी के रोजगार की गारंटी हो या फिर गुंडा और जंगलराज का इतिहास। जेपी नड्डा ने जनता के सामने केंद्र और बीजेपी की उपलब्धियों को बखूबी रखा।
बीजेपी के अमित शाह ने बिहार चुनाव में दूरी बनाए रखी। ऐसे में जेपी नड्डा के ऊपर जिम्मेदारी और बढ़ गई। शाह कोरोना और स्वास्थ्य के चलते बिहार चुनाव में अपना ज्यादा दखल नहीं दे पाए।