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भोपाल के 17 स्पॉट्स हैं डेंजर पॉइंट! विभाग की रिपोर्ट में सामने आईं चौंकाने वाली ये बातें

शहर में ऐसे स्पॉट ( danger point ) चिन्हित किए गए हैं, जहां कुत्तों के आतंक से मासूमों की जान ( stray dogs killed child ) तक चली गई।

भोपालJun 26, 2019 / 05:34 pm

दीपेश तिवारी

dangerous area

भोपाल के 17 स्पॉट्स हैं डेंजर पॉइंट! विभाग की रिपोर्ट में समाने आईं चौंकाने वाली ये बातें

भोपाल। शहर में आवारा कुत्तों ( street dog ) के आतंक से मासूमों की जान जाने ( stray Dogs killed child ) की भयंकर घटनाओं के बाद अब पशुपालन विभाग ने इस मामले को कुछ हद तक गंभीरता ( danger point ) से लेना शुरू किया है।

इससे पहले बुधवार को नगर निगम बजट सत्र के दौरान शहर में कुत्तों के आतंक ( dog bite in posh area ) को लेकर चर्चा कराने की मांग को लेकर सदन में हंगामा हुआ। साथ ही आवारा कुत्तों stray dogs के मामले पर सदन में कांग्रेस पार्षद धरने पर बैठ गए। जिसके चलते काफी देर तक बजट चर्चा नहीं हो सकी।

dog bite
वहीं इसी बीच पशुपालन विभाग ने भोपाल में 9717 कुत्ते चिन्हित किए हैं। इसके लिए वार्ड वार सूची बनकर संभागायुक्त को सौंपी गई है।

जानकारी के अनुसार जिले में 17 ऐसे स्पॉट ( danger point ) चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें कुत्तों के मामले में डेंजर पॉइंट ( danger point ) माना गया है। वहीं बताया जाता हे कि इन कुत्तों की संख्या का वार्ड स्तर पर क्रॉस वेरिफिकेशन करने के बाद टैगिंग की जाएगी।
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मानव अधिकार आयोग ने भी लिया था संज्ञान
इससे पहले मानव अधिकार आयोग ने भी आवारा कुत्तों के आतंक से मासूमों की जान जाने की भयंकर घटनाओं के बाद मामले को संज्ञान में लिया था।

उस समय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन ने इस मामले में राज्य सरकार से कई अनुशंसाएं की। मानव अधिकार आयोग ने साफ किया था कि सरकार इन अनुशंसाओं को अपनी योजनाओं में समाहित कर नागरिकों की सुविधा का प्रबंध करे।

जिसके बाद मध्यप्रदेश शासन की ओर से आम जनता की सुरक्षा को देखते हुए एक एडवाइजरी जारी की गई। इसके अनुसार खूंखार, बीमार और अवारा कुत्तों को कैद करने के लिए सभी नगरीय निकायों में डॉग हाउस बनाए जाएंगे। उनकी देख-रेख करने के लिए पशु चिकित्सकों और नगर निगम का अमला तैनात किया जाएगा।

stray dogs

इस संबंध में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने सभी निकायों से कहा गया था कि वे दो साल के भीतर अपने क्षेत्रों में कुत्तों की गणना, टीकाकरण, बधियाकरण भी करें, जिससे आवारा कुत्तों की जनसंख्या पर नियंत्रण लगाया जा सके।

नगरीय प्रशासन ने निकायों से कहा गया कि वे अवारा कुत्तों की गणना वैज्ञानिक तरीके से कराएं, हर निकायों में एक काल सेंटर बनाया जाए, जो सिर्फ लोगों को यह बताएं कि आवारा कुत्तों के काटने पर वे क्या उपाय करें और अवारा कुत्तों को पकडऩे की सूचनाएं अमले को दें।

कुत्तों की संख्या के अनुसार निकायों में वाहन और उन्हें पकडऩे के लिए कर्मचारियों का एक सेल बनाया जाए। यह सेल अवारा कुत्ते के काटने की सूचना मिलते वाहन लेकर मौके पर पहुंचकर कुत्ते को पकड़ेगा तथा पीडि़त को अस्पताल में भर्ती कराने की व्यवस्था करेगा।

 

अस्पतालों में 24 घंटे रखें रैबीज के इंजेक्शन
नगरीय प्रशासन ने अस्पतालों को निर्देश दिए हैं वे चौबिसों घंटे रैबीज के इंजेक्शन रखें। निकायों से कहा है कि वे समय-समय पर खूंखार, अवारा, रैबिज और बीमार कुत्तों का समय समय पर सर्वे कराए।

जन जागरुकता अभियान चलाकर लोगों को यह भी बताया जाए कि कुत्ते के काटने पर वे क्या करें और इसकी सूचना किस फोन नम्बर पर दें।

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