खास बात यह है कि चिट्ठी को लेकर उठे विवादों पर अब तक प्रतिक्रियाएं और सफाई सामने आ रही है। पहले राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) ने बयान को लेकर सफाई दी। फिर गुलाम नबी आजाद ( Ghulam Nabi Azad ) और कपिल सिब्बल ( Kapil Sibal ) ने अब चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में शुमार विवेक तन्खा ( Vivek Tankha ) ने भी अपनी सफाई दी है।
मानसून को लेकर मौमस विभाग ने जारी किया सबसे बड़ा अलर्ट, घर में स्टॉक कर लें जरूरी चीजें, अगले कुछ दिन इन राज्यों में होगी भारी बारिश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी ट्वीट करके इस चिट्ठी का बचाव किया है। विवेक तन्खा ने ट्वीट कर लिखा कि दोस्तों हम बागी नहीं हैं बल्कि बदलाव के वाहक हैं।
तन्खा ने लिखा कि- यह चिट्ठी पार्टी में नेतृत्व को चुनौती देने के लिए नहीं बल्कि पार्टी को मजबूत करने की कोशिश है। उन्होंने यह भी कहा कि- यह सार्वभौमिक सत्य है कि जो सबसे बेहतर है उसका बचाव जरूरी है फिर चाहे वह कोर्ट हो या फिर सार्वजनिक मामले। इतिहास बहादुरों को स्वीकार करता है डरपोक को नहीं।
अपनी इस सफाई में विवेक तन्खा ने साफ कहा कि चिट्ठी लिखने का मकसद किसी चुनौती देना नहीं था बल्कि नेतृत्व को मजबूत बनाने की तरफ एक कदम था। अब पार्टी विवेक तन्खा के तर्क से कितना संतुष्ट होती है ये कहना फिलहाल मुश्किल होगा।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी मीटिंग में जो कुछ हुआ इन 10 पॉइंट में समझें पूरा घटनाक्रम आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मुकुल वासनिक, विवेक तन्खा समेत करीब 23 नेताओं ने अगस्त के पहले हफ्ते में एक चिट्ठी लिखी थी।
यह चिट्ठी सोनिया गांधी के नाम लिखी गई थी, इसमे सोनिया गांधी से पार्टी में ऊपर से लेकर निचले स्तर तक नेतृत्व में जरूरी बदलाव की मांग की गई थी।
हालांकि इस चिट्ठी के मीडिया में सामने आने और इसके समय को चुनने को लेकर कांग्रेस में जमकर बवाल मचा है। बताया जा रहा है कि ये बवाल जल्दी थमने वाला नहीं है।