कांग्रेस के दिग्गज नेता ने 94 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। सोलंकी ने देश के विदेश मंत्री का पद भी संभाला था। सोलंकी के निधन से देशभर में शोक की लहर है। आपको बता दें कि हाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता मोती लाल वोहरा का भी निधन से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोलंकी के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
बीजेपी अध्यक्ष का दूसरा बंगाल दौरा, एक मुट्ठी चावल मुहिम के जरिए साधेंगे दो निशाने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव सिंह सोलंकी का जन्म 30 जुलाई 1927 को हुआ था। उनका जन्म एक कोली परिवार में हुआ था सोलंकी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे। वह भारत के विदेश मंत्री भी रह चुके थे।
माधव सिंह सोलंकी के निधन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा- सोलंकी के कांग्रेस की विचारधारा को बढ़ाने और उसके प्रचार में अहम भूमिका निभाई। उनका जाना पार्टी के लिे बड़ी क्षति है।
खाम थ्योरी के जनक माने जाते थे
गुजरात की राजनीति में सोलंकी का बड़ा कद था। वे जातिगत से लेकर राजनीतिक समीकरण तक साधने में निपुण माने जाते थे। यही नहीं माधव सिंह सोलंकी को खाम ( KHAM )थ्योरी का जनक भी माना जाता था।
KHAM का मतलब था क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम। यानी जातिगत समीकरणों को साधने में सोलंकी का को सानी नहीं था। अगड़ी जातियों को दिखाया बाहर का रास्ता
1980 के दशक में उन्होंने इन्हीं चार वर्गों को एक साथ जोड़ा और प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए। माधव सिंह सोलंकी के इस समीकरण ने गुजरात की सत्ता से अगड़ी जातियों को कई साल के लिए बाहर कर दिया।
इस राज्य के मुख्यमंत्री को जान से मारने की हो रही साजिश, इस तरह हुआ बड़ा खुलासा पेशे से वकील थे सोलंकीसोलंकी राजनीति के तो माहिर थे ही साथ ही कानूनी मामलों में भी उनकी पकड़ काफी मजबूत थी। दरअसल माधव सिंह सोलंकी पेशे से वकील थे। वह आनंद के नजदीक बोरसाड के क्षत्रिय थे।
1977 में पहली बार बने सीएम
वह पहली बार 1977 में अल्पकाल के लिए मुख्यमंत्री बने। 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य में जोरदार बहुमत मिला। 1981 में सोलंकी ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण लागू किया। इसके विरोध में राज्य में हंगामा हुआ। कई मौतें भी हुईं।
इन जातियों ने किया विरोध
खाम के चलते सोलंकी ने कुछ जाति के लोगों को अपना विरोधी भी बना लिया। इनमें पटेल, ब्राह्मण, बनिया जैसी जातियां प्रमुख रूप से शामिल थीं। राज्य में हिंसा के बाद सोलंकी ने 1985 में इस्तीफा दे दिया। लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में KHAM फार्मूले के दम पर बंपर वोटों से चुनाव जीतकर आए।