Bihar Election में इन नेताओं ने पर्दे के पीछे निभाया अहम रोल, प्रचार से लेकर हर रणनीति तक संभाली बड़ी जिम्मेदारी
Bihar Election 2020 राजनीतिक दलों के लोकप्रिय चेहरों ने जनता के बीच बनाई जगह
पर्दे के पीछे भी खास नेताओं ने संभाला चुनावी मोर्चा
चुनावी रैलियों, प्रचार अभियान, मीडिया मैनेजमेंट से लेकर हर रणनीति को इन योद्धाओं ने किया तैयारी
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 ( bihar assembly election ) के लिए मतगणना जारी है। कुछ घंटों में तस्वीर साफ होने लगेगी कि जनता ने इस बार किसके सिर ताज सजाने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। जनता तक पहुंचने के लिए सभी राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
खास तौर पर कोरोना वायरस संकट के बीच ये चुनाव सबसे कठिन चुनाव माना जा रहा था। ऐसे में बिहार की जनता के बीच अपनी बात रखना और उन्हें मतदान केंद्रों तक लाना रजानीतिक दलों और उनके दिग्गजों के लिए आसान काम नहीं था।
बिहार चुनाव में खास रहा हरियाणा का कनेक्शन, तेजस्वी यादव को मिला इसका फायदा दलों के लोकप्रिय चेहरे जहां जनता के बीच जाकर अपने पक्ष में वोट मांग रहे थे, तो वहीं पर्दे के पीछे रहकर भी कई नेता महत्वपूर्ण रोल निभा रहे थे। आईए प्रमुख राजनीतिक दलों के उन नेताओं पर एक नजर डालते हैं जिन्होंने पर्दे के पीछे संभाला मोर्चा।
आरजेडीः इस चुनाव में आरजेडी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। तेजस्वी की इमेज से लेकर पार्टी के दिग्गज नेताओं की रैलियों से लेकर प्रचार तक संजय कुमार की बड़ी भूमिका रही है। संजय तेजस्वी के थिंक टैंक के साथ-साथ पार्टी के अन्य नेताओं के प्रचार समेत अन्य पैकेजिंग की जिम्मेदारी संभाले हुए थे।
वहीं डीयू के प्रोफेसर नवल किशोर ने आर्थिक आंकड़ों को आरजेडी के लिए अलग किया। इसके साथ ही चितरंजन गगन ने पार्टी के घोषणा पत्र और विजन में अहम रोल निभाया। जेडीयूः सीएम नीतीश की सुशास बाबू की छवि को कायम रखने से लेकर अन्य नेताओं के लिए प्रचार की नीति, मीडिया मैनेजमेंट तक संभालने के लिए राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद, संजय वर्मा और रवींद्र सिंह बड़ी भूमिका निभाई। इसके साथ ही संगठन में तालमेल बैठाने की जिम्मेदारी पूर्व विधान पार्षद संजय गांधी ने संभाली।
कोरोना के चलते वर्चुअल रैलियां भी काफी अहम रहीं। ऐसे में जेडीयू के लिए डॉ. अमरदीप का रोल भी खास रहा। बीजेपीः हर तरह के तकनीकी को-ऑर्डिनेशन के लिए संजय मयूख के नेतृत्व में मीडिया सेल के अहम रोल निभाया। इनमें पंकज सिंह, अशोक भट्ट और राकेश सिंह ने संवाद के स्तर पर महती भूमिका निभाई। पार्टी के महामंत्री देवेश कुमार और प्रोटोकॉल प्रभारी अरविंद सिंह ने भी बैक स्टेज मोर्चा संभाले रखा।
कांग्रेसः कांग्रेस ने भी बिहार चुनाव में 1995 के बाद अच्छा माहौल बनाया है। इसके लिए भी पार्टी के बड़े नेताओं को जनता के बीच जगह बनाने में पर्दे के पीछे कई नेताओं में मोर्चा संभाला। इनमें एके वर्मा और ब्रजेश प्रसाद मुनन का अहम योगदान रहा है। इन्होंने कोरोना संकट के बीच राहुल की रैलियों, मुद्दों, समेत वर्चुअल संवाद के लिए भी रणनीति तैयार करने से लेकर इसके क्रियान्वयन तक बड़ा रोल निभाया।
एलजेपीः रामविलास जैसे दिग्गज नेता के निधन के बीच पार्टी की कमान संभाल रहे चिराग पासवान समेत अन्य नेताओं की चुनावी धुरी को मजबूत रखने में भी पर्दे के पीछे से ही नेताओं ने रणनीति को अंतिम रूप दिया। एलजेपी के लिए सबसे बड़ा चेहरा जो पर्दे के पीछे से सारी चुनावी रणनीतियों को अंजाम देता रहा वो था मो अशरफ का। जिन्होंने नीतीश के खिलाफ से लेकर बिहारी फर्स्ट तक नारे को आगे बढ़ाने में और चिराग को युवा नेता के रूप में आगे बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई।
बिहार चुनाव में जब महिलाओं का बढ़ा मतदान तो इन राजनीतिक दलों की हो गई बल्ले-बल्ले, जानें कैसा रहा पिछला परिणामइन दलों में भी रहे पर्दे के पीछे के खिलाड़ी बिहार चुनाव में आरएलएसपी से लेकर ‘हम’ पार्टी तक अन्य दलों में पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों ने लोकप्रिय चेहरों को मजबूती देने की कोशिश की। आरएलएसपी के लिए जहां पूरे प्रचार अभियान की कमान प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र नाथ ने संभाली तो वहीं पार्टी प्रवक्ता अनिल कुमार और भोला शर्मा भी पर्दे के पीछे डंटे रहे। वहीं हम के लिए भी बीएल वैश्यंत्री, संतोष कुमार दिन रात पर्दे के पीचे पार्टी के लिए पसीना बहाते नजर आए।
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