मान्यता है कि सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता। मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां देश के कोने-कोने से लोगों आते हैं और माता रानी के दर्शन करते हैं।
सबसे खास बात यह है कि यहां तीन किलोमीटर के दायरे में तीन प्रमुख देवियां विराजमान हैं। मान्यता है कि तीनों देवियों के दर्शन किए बिना विंध्याचल की यात्रा अधूरी मानी जाती है। तीनों देवियों के केन्द्र में मां विंध्यवासिनी हैं। कालीखोह पहाड़ी पर महाकाली और अष्टभुजा पहाड़ी पर अष्टभुजी देवी विराजमान हैं।
मां विंध्यवासिनी के इस धाम में त्रिकोण यात्रा का विशेष महत्व होता है, जिसमें लघु और वृहद त्रिकोण यात्रा की जाती है। लघु त्रिकोण यात्रा में एक मंदिर परिसर में माता के तीनों रूप के दर्शन होते हैं जबकि वृहद त्रिकोण यात्रा में मां के अलग-अलग तीन रूपों के दर्शन के सौभाग्य मिलता है, जिसमें मां विंध्यवासिनी, मां महाकाली और मां अष्टभुजी के दर्शन होते हैं।