पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने प्रभु के सामने नगर देखर की इच्छा प्रकट की, साथ ही द्वारका धाम के दर्शन कराने की प्रार्थना की। सुभद्रा की इच्छा पर भगवान जगन्नाथ ने रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया। जिसके बाद से ही हर साल यहां रथ याज्ञा निकाली जाती है। इसका वर्णन ने नारद पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी किया गया है।
गौरतलब है कि प्रभु जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए लगे होते हैं जबकि भाई बलराम के रथ में 14 और बहन सुभद्रा के रथ में 12 पहिए लगे होते हैं। मान्यताओं के अनुसार रथ यात्रा को निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर में पहुंचाया जाता हैं। जहां भगवान भाई-बहन के साथ आराम करते हैं।