scriptआदिवासियों ने लिया संकल्प, कहा-बचपन में नहीं ब्याहेंगे लाडो, यहां पढ़िए बाल विवाह की पूरी खबर | Story of panna Bundelkhand child marriage | Patrika News
पन्ना

आदिवासियों ने लिया संकल्प, कहा-बचपन में नहीं ब्याहेंगे लाडो, यहां पढ़िए बाल विवाह की पूरी खबर

अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने समाजसेवी सक्रिय, प्रशासन की ओर से भी किए जा रहे बाल विवाह रोकने के प्रयास

पन्नाApr 13, 2018 / 01:48 pm

suresh mishra

Story of panna Bundelkhand child marriage

Story of panna Bundelkhand child marriage

पन्ना। बुंदेलखंड क्षेत्र बाल विवाह के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर साल अक्षय तृतीया पर बड़ी संख्या में बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। पूर्व के कुछ वर्षों में प्रशासन की सख्ती से इसमें कमी आई है। इस साल अक्षय तृतीया 18 अप्रैल को है। अक्षय तृतीया को ही परशुराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। एक ओर ब्राह्मण समाज की ओर से भगवान परशुराम के जन्मोत्सव की तैयारियां की जा रही हैं।
वहीं दूसरी ओर जिले के कुछ सामाजिक संगठनों और जिला प्रशासन द्वारा बाल विवाह रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत बीते दिनों आदिवासी बहुल गांव कोटा गुंजापुर में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें लोगों को बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों के संबंध में जानकारी दी गई और गांव में एक भी बाल विवाह नहीं होने देने का संकल्प दिलाया गया।
बेरोजगारी और कुपोषण का दंश

गौरतलब है कि पन्ना बुंदेलखंड के सबसे पिछड़े जिलों में से है। इसके कारण यहां संभाग के अन्य जिलों से विकास के मामले में तो पिछड़ा ही है, साथ ही आर्थिक और सामाजिक सूचकांक के मामले में काफी पीछे है। बेरोजगारी और कुपोषण का दंश झेल रहे जिले में बाल विवाह भी एक बड़ा सामाजिक कलंक बना है। पूर्व में तो यहां बहुतायत में बाल विवाह हुआ करते थे। जिसको लेकर प्रशासन द्वारा हर साल लोगों को जागरूक करने के साथ ही कार्रवाई भी की जाती रही है।
महिलाओं और पुरुषों की बैठक

सामाजिक संगठन भी इस दिशा में सक्रिय भूमिका निर्वहन करते आ रहे हैं। बीते दिनों पत्थर खदान मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष यूसुफ बेग ने बताया कि बाल विवाह की कुप्रथा आदिवासी समाज में अधिक प्रचलित थी। इसी को लेकर उन्होंने ग्राम पंचायत जरधोवा के ग्राम कोटा गुंजापुर में आदिवासी समाज के महिलाओं और पुरुषों की बैठक ली थी। जिसमें उन्होंने लोगों से अपनी-अपने परिवार की बेटियों के विवाह 18 साल से कम की उम्र में नहीं करने की समझाइश दी।
परशुराम जन्मोत्सव की भी तैयारियां
अक्षय तृतीया को ही भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जन्मोत्सव के आयोजन को लेकर ब्राह्मण समाज की ओर से जिलेभर में तैयारियां की जा रही है। पहले दौर की बैठक हो चुकी है। दूसरे दौर की बैठकों में तैयारियों की समीक्षा की जा रही है। जन्मोत्सव को लेकर जिलेभर में तैयारियां की जा रही हैं। जिले का मुख्य समारोह नगर के भगवान श्रीराम जानकी मंदिर परिसर में आयोजित होगा। यहां पर समाज के लोगों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति दी जाएगी।

Hindi News / Panna / आदिवासियों ने लिया संकल्प, कहा-बचपन में नहीं ब्याहेंगे लाडो, यहां पढ़िए बाल विवाह की पूरी खबर

ट्रेंडिंग वीडियो