रेवड़भड़काने की इस रस्म को निभाने के दौरान बच्चों संग युवतियों और महिलाओं ने भी हाथों में थालियां और डंडे लेकर बर्तन बजाकर खूब रेवड़भड़काते हुए उत्साह के साथ रस्म को निभाया। मोहल्ले की युवतियां और बच्चे बुजुर्ग महिलाओं के निर्देशन में देवासी समाज के गाजण माता मंदिर के पास घंटों तक डटे रहे। यहां से दर्जनों चरवाहे रेवड लेकर गुजरते हैं। जैसे ही रेवड का यहां से निकलना हुआ। तैयार बैठे बाल गोपालों ने बर्तन बजाकर पशुओं को भड़काने का काम शुरू किया।
पशुधन स्वस्थ रहते हैं
देवासी समाज के हरजीराम परमार जोजावर, देवाराम देवली, पूर्व सरपंच अमराराम धनला और पोकर देवासी सेलीमाता की ढाणी ने बताया कि चरवाहे परिवार पशुधन के स्वस्थ रहने की कामना को लेकर पीढ़ियों से इस प्रथा को उत्साह से निभा रहे हैं। इस बार भी पशुधन को एक दिन पहले रंग कर तैयार किया गया और गोवर्धन पूजा के दिन रस्म को निभाया गया। कीरवा. गांव में चरवाहों ने परम्परानुसार पशुधन गाय, भेड़ -बकरियों को सतरंगी रंगो से रंगकर बाड़े से बाहर निकाला और बाद में हाथों में बर्तन और डण्डे लिए पहले से ही मौजूद बच्चों व महिलाओं ने रेवड को भड़काकर खूब दौड़ाया। जोगाराम देवासी, वीराराम देवासी, कालुराम देवासी, भीकाराम देवासी, भावाराम देवासी ने बताया कि प्राचीन काल से गोवर्धन पूजा के दिन पशुओं की पूजा अर्चना कर पशुओं को रंगने से वर्षभर पशुओं को बीमारी की आशंका नहीं रहती है। पुजारी राणाराम देवासी, वार्डपंच पाबुदेवी देवासी, भीकाराम देवासी, हवाराम देवासी, नेतीराम देवासी, वीराराम देवासी, कालुराम देवासी, रामलाल देवासी ने बताया कि यह परम्परा हमारे पूर्वजों से हमें विरासत में मिली है। जिसे आज भी हम उत्साह से निभा रहे हैं।