व्याख्यानमाला का आगाज राव सीहाजीराठौड़ की तस्वीर के समक्ष दीप जलाकर की गई। इस्कान मंदिर के प्रमुख कार्तिक कृष्ण प्रभु के भगवान का स्मरण करने के साथ शुरू व्याख्यानमाला में कवयित्री तृप्ति पाण्डेय ने राव सीहाजी ने ब्राह्मणों की सहायता की। मारवाड़ के सपूतों में वीरता कूट-कूट का भरी है। उनकी वीर कथाओं से इतिहास बना है।
शेरों के बीच गुजरा बचपन, कहलाएं राव सीहा
साहित्यकार विजयकृष्ण नाहर ने कहा कि राठौड़ वंश के संस्थापक राव सीहा का बचपन शेरों के बीच गुजरा। उन्होंने शेरनी का दूध पीया। इस कारण उनका नाम राव सीहा रखा गया था। उन्होंने इतिहास में राव सीहा के बारे में लिखी गई कई भ्रांतियां व गलत तथ्यों का खंडन करते हुए कहा कि राव सीहा पाली के राजा नहीं बने, उन्होंने एक रक्षक की भूमिका निभाई।
बिठु गांव में है स्मारक
साहित्य व इतिहास से जुड़े मुकेश जोशी ने कहा कि राव सीहाजी के बारे में अलग-अलग इतिहासकारों ने अलग-अलग तथ्य लिखे है। उन्होंने 1240 में राठौड़ वंश की स्थापना की। उनके वीरगति को प्राप्त होने के बाद स्मारक बिठु गांव में बनाया गया है। शैतानसिंह सोनगरा ने कहा कि हमें भारत के संतों व वीरों की गाथा गानी चाहिए। ऐसा नहीं करने से हमारा इतिहास दब जाएगा।
राव सीहा थे हमारे संरक्षक
अध्यक्षता करते हुए बांगड़ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. महेन्द्रसिंह राजपुरोहित ने कहा कि राव सीहाजी हमारे शासक नहीं संरक्षक के रूप में थे। उन्होंने पाली व भीनमाल की रक्षा की। कल्पवृक्ष साहित्य सेवा संस्थान अध्यक्ष पवन कुमार पाण्डेय ने आभार जताया। संचालन डाॅ. जगवीर सिंह खंगारोत ने किया। व्याख्यानमाला में महावीरसिंह टेवाली, मांगुसिंह दुदावत, महेन्द्रसिंह चूंडावत, दिनेश दवे, सुदर्शन सिंह ने इतिहास के बारे में बताया।
पुस्तक का किया विमोचन
व्याख्यानमाला में साहित्यकार नाहर की ओर से राव सीहाजी पर लिखी पुस्तक का विमोचन किया गया। अतिथि ताजवीर सिंह राठौड़, राजेन्द्र सिंह भाटी, शैतान सिंह सोनगरा, चंद्रेशपाल सिंह रातडी, भंवरसिंह राठौड़ चोटिला, रामसिंह गोहिल, सुदर्शनसिंह उदावत, कल्याणसिंह टेवाली, अजयपालसिंह हेमावास, भगाराम गुर्जर, मुरली मनोहर बोडा, निखिल व्यास, रुपेश बिस्सा सहित अतिथियों ने पुस्तक का विमोचन किया।