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पांच बार विधायक रहे पारख बोले : यदि ईमानदारी से कार्य होते तो पाली की ऐसी दशा नहीं होती

साक्षात्कार: पूर्व विधायक ज्ञानचंद पारख

पालीOct 24, 2024 / 07:45 pm

rajendra denok

पांच बार विधायक रहे पारख बोले : यदि ईमानदारी से कार्य होते तो पाली की ऐसी दशा नहीं होती

पाली के पूर्व विधायक ज्ञानचंद पारख।

पाली के पांच बार के विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञानचंद पारख का कहना है कि वे चुनाव हारने के बाद भी उतने ही सक्रिय है जितने पहले थे। पाली शहर की बेहतरी के लिए वे निरंतर प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि, सीवरेज हो या क्षतिग्रस्त सड़कें और बदहाल सफाई व्यवस्था, नगर निगम की शिथिलता के कारण आम आदमी को परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। निगम को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ईमानदारी से करना चाहिए। पत्रिका से विशेष बातचीत में उन्होंने राजनीति, सेवा और निजी जीवन से जुड़ी बातें साझा की।
सवाल : अभी कितने सक्रिय हैं और किन मुद्दों पर काम कर रहे हैं?

जवाब : मैं पहले की तरह ही सक्रिय हूं। मेरे पास आने वाले लोगाें की समस्या का समाधान करने का प्रयास करता हूं। राजनीति के साथ-साथ सेवा का काम भी निरंतर कर रहा हूं। सेवा के तौर पर कई नए अध्याय शुरू किए हैं। पिछले दिनों अत्यधिक बारिश के दौरान भी निरंतर लोगों के बीच रहा। पीडि़त लोगों को हरसंभव मदद की।
सवाल : पाली के तीन बड़े चैलेंज अथवा समस्याएं क्या मानते हैं?

जवाब : पाली में सीवरेज की प्रोपर मेंटेनेंस नहीं है। आए दिन इसकी शिकायतें मिलती है। लोगों के घराें में सीवरेज का पानी भर जाता है। शिकायतों की सुनवाई और समाधान समय पर नहीं होता। सीवरेज कंपनी को शर्तों के अनुसार काम करने के लिए पाबंद करना चाहिए। शहर की सफाई व्यवस्था और सड़कें भी दुरुस्त नहीं। इसके लिए निगम को गंभीरता से काम करने की जरूरत है। शहर में जल भराव एक बड़ा मुद्दा है। नगर निगम को स्थायी समाधान तलाशना चाहिए।
सवाल : पाली संभाग को सरकार खत्म तो नहीं कर रही?

जवाब : ऐसा किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे। संभाग यथावत रहेगा। सरकार भी ऐसा कुछ नहीं कर रही। संभाग के अनुरूप इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए प्रयास करेंगे। वर्तमान और भविष्य के लिहाज से पाली बेहतर शहर के रूप में पहचाना जाए, इसके लिए भरसक प्रयास करेंगे।
सवाल : विगत कुछ समय से शहर के हालात विकट है…इसकी वजह आपका और सभापति का विवाद तो नहीं?

जवाब : हो सकता है हमारा राजनीतिक विवाद हो, लेकिन मैंने उन्हें काम करने के लिए तो नहीं रोका। उन्हें अपने काम तो करने चाहिए। मेरे रोकने से काम तो रुकते नहीं। पूरा पाली जानता है। ईमानदारी से काम करते तो शहर की यह हालत नहीं होती। भ्रष्टाचार किस कदर है सभी जानते हैं। इतना जरूर है कि मैं जब साथ था तो कहीं अड़चन आती तो सरकार से काम करवा लाता था। अब वे अपने तरीके से कर रहे हैं।
सवाल : सीवरेज और सड़कों को लेकर शहरवासी परेशानी झेल रहे… जनहित के मुद्दों में जनप्रतिनिधि रुचि नहीं ले रहे?

जवाब : मेरे पास सीवरेज की समस्या को लेकर रोजाना दस कॉल आते हैं। कंपनी के प्रतिनिधियों को बुलाकार समाधान कराता हूं। प्रशासनिक अधिकारियों को भी कहता हूं। सड़कें हो चाहे सीवरेज, मैंने शहर की समस्याओं के समाधान के लिए हरसंभव कोशिश की है।
सवाल : शहर में अतिक्रमण और पार्किंग की बड़ी समस्या है…आप क्या कर रहे ?

जवाब : यह सही है कि अतिक्रमण और पार्किंग को लेकर लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह अतिक्रमण हटाकर लोगों को समस्याओं से निजात दिलाए। मैं मेरे स्तर पर तो प्रयास करता ही हूं।
सवाल : बांडी नदी रिवर फ्रंट, मुख्यमंत्री आवास और लोर्डिया तालाब सौंदर्यीकरण जैसी कई योजनाएं दफन क्यों है?

जवाब : यह लोकल बॉडी का विषय है। लोकल बॉडी टूटी-फूटी सड़कें और नालियों की मरम्मत नहीं कर सकती तो ऐसे कार्यों की क्या उम्मीद कर सकते हैं। यहां तो पेचवर्क के लिए भी तरसना पड़ रहा है। लोगों की उम्मीदें ही खत्म हो रही। इस बार परिणाम ठीक रहता तो कुछ अच्छा हो सकता था।
सवाल : आपका चुनाव हारना अभी भी समर्थकों को पच नहीं रहा…हार के क्या कारण रहे…आपने मंथन किया होगा?

जवाब : मैंने काम बहुत किया था। मुझे विश्वास था, लेकिन यह अति आत्मविश्वास साबित हुई। कुछ कमियां भी रहीं होगी। फिर भी मैं मानता हूं कि ईश्वर जो भी करता है अच्छा करता हैं। मैं संतुष्ट हूं। मेरे चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। जितना पहले सक्रिय था, उतना अब भी हूं। आगे भी निरंतर काम करता रहूंगा।
सवाल : आप जब भी रिटायर होंगे…उत्तराधिकारी कौन होगा?

जवाब : मेरे परिवार के किसी भी सदस्य की राजनीति में कोई रुचि नहीं है। निकट भविष्य में परिवार से कोई राजनीति में नहीं आएगा। मेरी खुद की भी रुचि नहीं थी। ईश्वर की इच्छा थी। संघ ने चुनाव लड़ने का आदेश दिया था, तब राजनीति में आया और 30 साल से राजनीति और सेवा दोनों कर रहा हूं। उत्तराधिकारी तय करने वाला मैं कौन होता हूं। यह मेरी बपौती नहीं। न ही मैंने इसका कोई ठेका ले रखा। पार्टी और पाली की जनता तय करेगी कि मेरा उत्तराधिकारी कौन होगा।
सवाल : देश-प्रदेश में आपकी सरकार है। वरिष्ठता के आधार पर संगठन अथवा सत्ता में भागीदारी की कोई मंशा?

जवाब : मेरा उपयोग कहां और कैसे करना है, यह पार्टी तय करेगी। मैं देश के लिए राजनीति करता हूं। यह पार्टी देशहित के लिए काम कर रही है। मेरे लिए पार्टी का जब भी आदेश होगा, समर्पित होकर निरंतर काम करता रहूंगा। मैं अपने जीवन का अधिकतम समय पार्टी के लिए दूंगा। जरूरत पड़ी तो जान भी देने के लिए तैयार हूं।

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