अब नई आशंका नगर निगम को लेकर है। क्योंकि डेवलपमेंट ऑफ लोकल बॉडीज (डीएलबी) की गाइडलाइन के अनुसार नगर निगम होने के दो मापदंड हैं- संभागीय मुख्यालय और 5 लाख से ज्यादा की आबादी। हालांकि फिलहाल भजनलाल सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। लेकिन मापदंड पूरे नहीं करने के बाद पाली नगर निगम खतरे में जरूर आ गया है।
मदन राठौड़ बोले- हम तो चाहते है पाली संभाग रहे
नए जिले व संभाग बनाने को लेकर सेवानिवृत्त आइएएस की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। उस समिति के विवेचन व विचार के बाद सरकार की ओर से पाली संभाग रद्द करने का फैसला किया है। हम तो चाहते है पाली संभाग रहे, लेकिन सरकार पूरे प्रदेश को देखकर निर्णय करती है। मदन राठौड़, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा
गलत निर्णय किया गया
पाली को संभाग रद्द करने का फैसला गलत है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने पाली को जो सौगात दी थी। उसे इस सरकार ने छीन लिया है। पाली संभाग रहता है तो यहां विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। इसे एक तरह से पाली का डिमोशन कह सकते है। महावीरसिंह सुकरलाई, कांग्रेस नेता
ये जिले हुए निरस्त
उल्लेखनीय है कि भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार में बनाए गए 17 नए जिलों में से 9 पर कैंची चला दी, वहीं 3 संभाग पाली, बांसवाड़ा और सीकर का दर्जा वापस ले लिया है। राजस्थान में अब 41 जिले और 7 संभाग होंगे। राजस्थान में जिन 9 जिलों का दर्जा वापस लिया गया है उनमें जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, अनूपगढ़, गंगापुर सिटी और सांचौर का नाम शामिल है।