पाली बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में ओपीडी बंद होने के बाद इमरजेंसी तौर पर मरीजों का उपचार किया जाता है। लेकिन यहां अब भी चिकित्सा उपकरण पूरे नहीं हैं। ईसीजी मशीन तक कई बार खराब हो जाती है, ऑक्सीजन के उपकरण नहीं चलते। बिजली के बोर्ड तक काम नहीं करते। ऐसे में कई बार इमरजेंसी मरीजों को मौत का मुंह देखना पड़ता है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। इससे मेडिकल कॉलेज का उपयोग पूरा नहीं हो रहा है। मरीजों को उपचार के लिए जोधपुर, जोधपुर एम्स, जयपुर व अहमदाबाद जाना पड़ता है। साथ ही उन्हें निजी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है। इमरजेंसी मरीजों को तो सीधा ही रैफर कर दिया जाता है। यह कमी दूर हो तो हद तक राहत मिलेगी।
बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। कई उपकरण है, लेकिन इन्हें संचालित करने वाले नहीं है। खासकर वेन्टीलेटर जैसे उपकरण के लिए ट्रेंड स्टाफ नहीं है। एक्सरे मशीन कई बार खराब हो जाती है। सीटी स्केन की रिपोर्ट नहीं आती। लैब में जांच मशीन खराब हो जाती है। हर वार्ड में जो मेडिकल कॉलेज नियमों के तहत तैयारी होनी चाहिए, वह अभी पूरी नहीं है।
अस्पताल में चिकित्सकों के गुट हो गए हैं, राजनीति हावी है। कई बार ऐसे हालात हो जाते है कि एक चिकित्सक दूसरे गुट के चिकित्सक के मरीज को नहीं देखता। चिकित्सकों की गुटबाजी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। इसको लेकर मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी परेशान है।
चिकित्सा सचिव वैभव गलेरिया सोमवार को पाली मेडिकल कॉलेज का दौरा कर निरीक्षण करेंगे। पाली मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. हरीश कुमार ने बताया कि चिकित्सा सचिव गलेरिया सोमवार सुबह साढ़े नौ बजे जोधपुर से पाली मेडिकल कॉलेज पहुंचेंगे। वे कॉलेज में अब तक हुए काम, आगे की योजनाओं पर चर्चा कर निरीक्षण करेंगे। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई है।