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पाली

श्राप से पत्थर बने थे, महेश-पार्वती ने दिया पुनर्जीवन तो कहलाए माहेश्वरी, पढ़ें पूरी खबर…

-भोले के आशीष से अपनाया वैश्य धर्म, छोड़ा क्षत्रिय धर्म-जहां हथियार छोड़े, वो स्थान कहलाया लोहागढ़

पालीJun 08, 2022 / 05:23 pm

Suresh Hemnani

श्राप से पत्थर बने थे, महेश-पार्वती ने दिया पुनर्जीवन तो कहलाए माहेश्वरी, पढ़ें पूरी खबर...

श्राप से पत्थर बने थे, महेश-पार्वती ने दिया पुनर्जीवन तो कहलाए माहेश्वरी, पढ़ें पूरी खबर…

Mahesh Navami 2022 Special : पाली। माहेश्वरी समाज की उत्पति भगवान शिव की कृपा से ही हुआ है। ये ही कारण है कि शिव परिवार जिसमें भगवान शिव, माता पार्वती, देवसेनापति कुमार कार्तिकेय एवं प्रथम पूज्य देवता गणेश को माहेश्वरियों का कुलदेवता माना जाता है। कहा जाता है कि माहेश्वरी उत्पति दिवस के रूप में महेश नवमी ज्यैष्ठ शुक्ल नवमी के दिन मनाई जाती है, इस दिन भगवान महेश और माता पार्वती ने ऋषि के श्राप से पत्थर बने हुए 72 क्षत्रिय उमराव को पुनर्जीवन दिया था। तभी से इनके वंशज माहेश्वरी कहलाए।
पाली समाज के मंत्री भुवनेश काबरा ने बताया कि भगवान महेश ने क्षत्रिय धर्म छोडकऱ वैश्य धर्म अपनाने को कहा, जिसे 72 उमराव ने स्वीकार कर लिया। लेकिन उनके हाथों से हथियार नहीं छूटे थे। इस पर भगवान महेश ने सूर्यकुण्ड में स्नान करने को कहा। ऐसा करते ही उनके हथियार पानी में गल गए। उसी दिन से वह जगह लोहागढ़ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। आज भी सीकर के पास लोहागढ़ नाम से स्थान है।
सेवा में भी अग्रणी, अस्पताल व कॉलेज बनवाए
माहेश्वरी समाज के मगनीराम बांगड़ एवं रामकुंवार बांगड भी बडे दानवीर थे। वहीं स्व. मोहनलाल मोदी ने मात्र 14 वर्ष की आयु में पाली के रेल्वे स्टेशन पर प्याऊ लगाकर सेवा का श्री गणेश कर किया था। इसी तरह समाज के मोहनलाल गुप्ता अजमेर जिले में जन्म लेकर शिक्षा पूर्ण कर महाराजा उम्मेद मिल्स पाली को अपनी कर्म स्थली बनाया। इनकी सकारात्मक सोच से पाली के विकास में बांगड़ घराने का सहयोग मिला। बांगड़ स्कूल, बांगड़ कॉलेज, बांगड़ अस्पताल, बांगड़ धर्मशाला, बांगड़ मंदिर इन्हीं के प्रयासों का नतीजा है। इनके साथ ही माहेश्वरी समाज के लक्ष्मीनारायण भूतड़ा, मिश्रीलाल सारड़ा, गौरूराम तोषनीवाल, सम्पत फोफलिया, बंकटलाल झंवर, जयनारायण सोमानी, हरीप्रसाद सोमानी, मोहनलाल चंडक, प्रवीण सोमानी, राजेश बिड़ला ऐसे नाम है, जो सेवा को तत्पर रहे। वर्तमान में प्रमोद जैथलिया, रवि मोहन भूतड़ा, लक्ष्मीकान्त लाहोटी, विरेन्द्र बाहेती, दिलीप सारड़ा, राधेश्याम राठी, बजरंगलाल हुरकट, गुरूचरण हेड़ा सहित कई समाज बन्धु सेवा के कार्य में निरन्तर कार्यरत है।
कोराना में बांटा दर्द
कोविड 19 के दौर में भी इस समाज ने सहयोग किया। समाज की प्रेरणा से सारड़ा गम्स एण्ड केमिकल्स और उम्मेद मिल जैसे कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने प्रशासन को सहयोग प्रदान किया।
नई चेतना का संचार
-महेश नवमी महोत्सव का आयोजन समाज में नई चेतना एवं ऊर्जा का संचार करता है। माहेश्वरी समाज सेवा कार्यों में हमेशा आगे रहा है और आगे भी रहेगा। –लक्ष्मीकांत लाहोटी, अध्यक्ष, माहेश्वरी समाज, पाली
बेटियों को प्रोत्साहन
महेश नवमी के पर्व के आयोजन से बालिकाओं एवं महिलाओं को न सिर्फ प्रोत्साहन मिला, बल्कि आगे बढ़ने की भावना भी प्रबल होती है। –शान्ति माहेश्वरी, अध्यक्ष, माहेश्वरी महिला मण्डल, पाली

समाज उत्साहित
माहेश्वरी समाज के नेतृत्व में महेश नवमी के आयोजन का कार्यभार मिला। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कई प्रकार के नए उत्साहवर्धक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। –राजेन्द्र केला, अध्यक्ष, माहेश्वरी युवा संगठन, पाली
युवाओं को मिलती है प्रेरणा
महेश नवमी के आयोजन से समाज एक मंच पर आता है। इससे समाज के जरिए युवाओं को प्रेरणा मिलती है। आयोजनों से समरसता का भाव बना रहता है। –भुवनेश काबरा, मंत्री, माहेश्वरी समाज, पाली

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