अलसुबह पहुंच जाएंगे मेले में क्षेत्र के विभिन्न अंचलों व गुजरात के हजारों आदिवासी रंगबिरंगे परिधानों में सजधजकर मेले में शामिल होंगे। दुर्गम पहाडियों व जंगलों को रौंदते हुए चांदनी रात में नाचते, गाते झूमते हुए माउंट आबू पहुंचेंगे। आदिवासी वेशभूषा के रंगों से नक्की झील परिक्रमा पथ चहक उठेगा।
कई जोड़े बधेंगे परिणय सूत्र में आदिवासियों के मेल-मिलाप को लेकर मेले में युवाओं की भरमार रहेगी। जहां कई जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे। पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर आने वाले कई गरासिया युवक-युवतियां परंपरानुसार अपने जीवन साथी का मेले में चयन करेंगे।
नक्की झील में अदा करेंगे रस्में मेले में शरीक होने वाले आदिवासी अंचलों से आने वाले मेलार्थी आदिवासी परंपराओं के अनुरुप नक्की झील में स्नान करेंगे। जहां साल भर में दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पितृ तर्पण करने की परंपरागत रस्म अदा करेंगे। वे पहले से तैयारियों में जुटे हैं। आदिवासियों के आवागमन की चहलपहल बढ़ रही है।
होगा आदिवासी नृत्य
हाथों में तीर कमान, लाठियां थामे ढोल थाली की धुन पर चमकीली रंगबिरंगे परिधानों में सजसंवरकर युवक थिरकना शुरू कर देंगे। युवतियों के साथ किए जाने वाले वालर नृत्य की दिन भर धमा चौकड़ी मची रहेगी।