जिला मुख्यालय पर खेल मैदान के तौर पर सबसे बड़ी जगह है बांगड़ स्टेडियम। यहां प्रतिदिन करीब दो सौ खिलाड़ी नियमित रूप से अभ्यास के लिए आते हैं। मैदान में सुविधाओं के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं है। दीवारें टूटी होने और गार्ड के अभाव में मवेशी विचरण करते हैं। खिलाडिय़ों के लिए स्पोर्टस काउंसिल की ओर से महज दो कोच नियुक्त किए हुए हैं। छह-सात शारीरिक शिक्षक भी यहां दिखावे के तौर पर नियुक्त है। खिलाडिय़ों के लिए यहां पीने का पानी भी नहीं मिलता। वे अपने घर से बोतलें भर कर लाते हैं। पानी की व्यवस्था को लेकर खिलाड़ी कई बार गुहार लगा चुके, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की।
-खिलाडिय़ों के लिए पीने के पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं।
-स्टेडियम में सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। गार्ड के अभाव में असुरक्षा का भय रहता है।
-शौचालय का अभाव। स्टेडियम के बाहर सार्वजनिक शौचालय बना हुआ है जो काफी दूरी पर है।
-स्टेडियम के भीतर घास नहीं होने से खिलाडिय़ों को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है।
-साफ-सफाई भी पर्याप्त है। स्टेडियम की कई दीवारें टूटी हुई है।
-स्टेडियम में गाय और अन्य पशुओं का जमावड़ा रहता है।
मैदान में व्यवस्थाएं ठीक नहीं है। पानी का पानी भी उपलब्ध नहीं रहता। पानी के लिए हमेशा परेशान होना पड़ता है।
–सरीता टाक, खिलाड़ी मैदान में सुरक्षा व्यवस्था सुचारू नहीं है। आवारागर्दी करने वाले आ जाते हैं। इससे लड़कियों को खेलने में परेशानी होती है। –निखिलराज जयपाल, खिलाड़ी
स्टेडियम में सुरक्षा के लिए गार्ड जरूरी है। इसके लिए नगर परिषद और जिला प्रशासन को कई बार लिख दिया। पत्र लिखकर थक चूके, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। स्पोट्र्स काउंसिल ने दो कोच नियुक्त कर रखे हैं। कुछ शारीरिक शिक्षकों को भी लगाया हुआ है। –ओमप्रकाश बारिया, जिला खेल अधिकारी, पाली
खेलों के अनुकूल माहौल जरूरी है। स्टेडियम में कई तरह की व्यवस्थाओं में सुधार किया जाना चाहिए। खिलाडिय़ों को सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे तो यहां कई प्रतिभाएं उभरेंगी। इसके लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। –राजेश पाटनेचा, सचिव, जिला टेनिस संघ