चौपड़ा बताते हैं कि लाखोटिया में कुछ लोग पक्षियों को खिलाने के लिए दाना जमीन पर गिरा देते थे। उसे खाने पक्षी पेड़ से उड़कर नीचे आते तो कई बार श्वान उनका शिकार कर लेते थे। इतना ही नहीं, बरसात व अंधड़ के समय पक्षी पेड़ों से गिर जाते थे। घोंसले बिखर जाते और पक्षियों की जान चली जाती। इस पर पक्षीघर बनाने की सोची और उनका निर्माण कराया।
पाली शहर ही नहीं, जिले के गांव-कस्बों में भी ऐसे ही पक्षीघरों का निर्माण करवाया गया है। जिले के सोजतरोड, निमाज और जैतारण सहित अन्य इलाकों में भी पक्षियों के लिए ऐसे ही पक्के पक्षीघर बनवाए गए हैं।
लाखोटिया में दो पक्षीघरों का निर्माण गुजरात के कारीगरों ने किया। इनमें करीब 3000 पक्षियों के घोंसले हैं, जो देखने में भी काफी सुंदर लगते है। अब बनाएंगे तोता घर
पक्षीघर के बाद अब शहर में तोता घर का निर्माण करवाया जाएगा। चौपड़ा का कहना है कि तोतों के लिए अलग से पक्के घर का निर्माण करवाया जाएगा। इनकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।