पिछले सालों में स्वच्छता रैंक में देशभर में अव्वल रहने वाले इंदौर और भोपाल में नगर निगम के टिपर के माध्यम से परिवहन होने वाले कचरे की 100 प्रतिशत प्रोसेसिंग की जा रही है। इंदौर में 948.60 और भोपाल में 813.80 मीट्रिक टन नगरीय ठोस अपशिष्ट निकलता है। राजस्थान में जोधपुर नॉर्थ नगर निगम में रोज 180.26 एमटी ठोस कचरा निकलता है। इसकी 100 प्रतिशत प्रोसेसिंग हो रही है। कोटा नॉर्थ नगर निगम में 85.77 एमटी ठोस कचरा निकलता है। यहां भी रिपोर्ट के अनुसार 100 प्रतिशत प्रोसिसिंग हो रही है।
नगर पालिका-कितना अपशिष्ट निकलता है
जैतारण 8.78 एमटी
सादड़ी 10.58 एमटी
सोजत 18.06 एमटी फालना 5.16 एमटी
जालोर 22.94 एमटी
सांचौर 0.52 एमटी
जावाल 3.23 एमटी मारवाड़ में यहां प्रोसेसिंग में पिछड़े
बाली नगर पालिका में 7.74 एमटी कचरा निकलता है। इसमें से 0.15 एमटी की प्रोसेसिंग यानी 2 प्रतिशत ही होती है। रानी नगर पालिका में 5 एमटी कचरा निकलता है। इसमें से 2.39 एमटी यानी 48 प्रतिशत की प्रोसेसिंग होती है। सुमेरपुर नगर पालिका में 11.13 एमटी में से 74 प्रतिशत की प्रोसेसिंग होती है। आबूरोड नगर पालिका में 15.97 एमटी में 8.13 एमटी यानी 51 प्रतिशत की प्रोसेसिंग होती है। भीनमाल नगर पालिका में 8.06 एमटी में 4.84 एमटी यानी 60 प्रतिशत की प्रोसेसिंग होती है। जोधपुर साउथ 232.26 एमटी में से 151.29 एमटी यानी 65 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग होती है। जयपुर हेरिटेज नगर निगम में 683.00 एमटी में 478.26 यानी 70 प्रतिशत ठोस कचरे की प्रोसेसिंग होती है।
नागालैंड में 3 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 10 प्रतिशत, पुदुचेरी में 11 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग होती है। वहीं मेघालय और मिजोरम में यह शून्य है। यह योजना
भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छता मिशन शुरू किया था। इसके तहत नगरीय ठोस अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाना है। मिशन को 1 अक्टूबर 2021 को 2026 तक के बढ़ा दिया है। इसके तहत कचरे का पृथ्थकरण करना, बिजली और खाद बनाने जैसे विकल्पों पर कार्य करना है।
पाली में ठोस कचरा निस्तारण का प्लांट पिछले एक माह से बंद है, ठेकेदार ने काम बंद कर रखा है। इसे वापस शुरू करवाने के लिए ठेकेदार से वार्ता की जा रही है।