scriptRajasthan News: राजस्थान के 565 अस्पतालों से आई बड़ी खबर, डेढ़ साल से नहीं पहुंचीं 350 दवाइयां | Big news came from 565 hospitals of Rajasthan, 350 medicines have not reached for one and a half years | Patrika News
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Rajasthan News: राजस्थान के 565 अस्पतालों से आई बड़ी खबर, डेढ़ साल से नहीं पहुंचीं 350 दवाइयां

Rajasthan News: पाली जिले में पिछले साल ब्लॉक स्तर के सात नए होम्योपैथी चिकित्सालय खोले थे। रानी, देसूरी, बाली, रोहट, बगड़ी, मारवाड़ जं€शन व Žब्लॉक पाली में चिकित्सालय खोले गए। इनमें से अधिकांश उधारी के भवनों में भामाशाहों के भरोसे चल रहे हैं।

पालीSep 24, 2024 / 08:10 am

Rakesh Mishra

homeopathy medicine
राजीव दवे
Rajasthan News: होम्योपैथी से उपचार कराने के लिए प्रदेश के 565 अस्पतालों में मरीज आना कम या बंद हो गए हैं। कारण है वहां दवा नहीं मिलना। यदि मरीज चिकित्सक को बाजार की दवा लिखने को कहते हैं तो वे नियम विरुद्ध होने का कहकर मना करते हैं। अस्पतालों में पिछले डेढ़ साल से करीब 350 दवाइयां नहीं आ रही हैं।
वहां अंतिम बार जून 2023 में दवा की आपूर्ति की थी। खास बात यह है कि प्रदेश में कई जगह नए ब्लॉक चिकित्सालय खोले गए। वहां तो एक बार भी दवा की आपूर्ति नहीं हुई। इस कारण चिकित्सकों को भामाशाहों से दवा मंगवाकर मरीजों को देनी पड़ रही है। जो चिकित्सक ऐसा नहीं कर पा रहे, वहां मरीजों को चिकित्सालयों का कोई लाभ नहीं मिल रहा। होम्योपैथी के प्रदेश में 565 जिला और Žब्लॉक अस्पताल हैं। इसमें ए क्लास अस्पताल प्रदेश में जोधपुर, पाली, नवलगढ़, किशनगढ़, अजमेर व कोटा में है। जिला अस्पताल पूरे प्रदेश में केवल एक बालोतरा में स्वीकृत है। जिसका निर्माण करने के लिए अभी तक राशि भी नहीं मिली है। आयुष विभाग के साथ 81 चिकित्सालय भी संचालित हैं।

पाली में खुले सात अस्पताल

पाली जिले में पिछले साल ब्लॉक स्तर के सात नए होम्योपैथी चिकित्सालय खोले थे। रानी, देसूरी, बाली, रोहट, बगड़ी, मारवाड़ जं€शन व Žब्लॉक पाली में चिकित्सालय खोले गए। इनमें से अधिकांश उधारी के भवनों में भामाशाहों के भरोसे चल रहे हैं। ऐसा ही हाल प्रदेश में है। बाली का चिकित्सालय बंद हो चुके स्कूल भवन में चल रहा है। इन नए चिकित्सालयों के साथ पुराने एक क्लास चिकित्सालयों तक में सफाई करने के लिए कार्मिक नहीं है। चिकित्सक को ही सफाई करने, दवा देने, दवा लिखने व मरीजों की जांच करने का कार्य करना पड़ रहा है।

पहले आचार संहिता फिर पद रिक्त होने से नहीं हुई आपूर्ति

विभाग की निदेशक का कहना है कि पहले आचार संहिता के कारण दवाइयों के टैंकर नहीं हो सके। उसके बाद नवंबर में डायरे€टर का पद रि€क्त हो गया। जो फरवरी में भरा। उस समय लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। इस कारण दवाओं के टैंडर नहीं हो सके।

भामाशाहों से मंगवाई जा रही हैं दवाइयां

विभाग की ओर से दवाओं की व्यवस्था इधर-उधर से की जा रही है। जिस अस्पताल में मरीज कम आते हैं या दवाएं पड़ी थी। वहां से दूसरे अस्पताल में भेजकर काम चलाया जा रहा है। कुछ ऐसे अस्पताल भी है, जहां दवाएं भामाशाहों से मंगवाकर मरीजों को दी जा रही हैं।

होम्योपैथी निदेशक डॉ. राजरानी से बातचीत

सवाल- चिकित्सालयों में लंबे समय से दवा की आपूर्ति नहीं हुई है, मरीजों को दवा नहीं मिल रही?
जवाब- दवा पिछले साल दी गई थी। दवाओं के लिए टैंडर हो गए है। दवाइयां निदेशालय स्तर पर 12 अ€टूबर तक आ जाएंगी। इस पर सभी जगह पर सप्लाई कर दी जाएगी।
सवाल- नए चिकित्सालयों में फर्नीचर, स्टेशनरी तक का बजट नहीं है?
जवाब- नए Žब्लॉक चिकित्सालयों में फर्नीचर आदि का बजट जल्द देंगे। चुनाव में आचार संहिता लगने के कारण इसमे देरी हुई।

सवाल- आपके चिकित्सालयों में दवा देने के लिए क्पाउंडर तक नहीं है?
जवाब- प्रदेश में 356 क्पाउंडरों की भर्ती होनी थी। वह मामला अभी अटका हुआ है।

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