ओलंपिक में हॉकी में मेडल जीतने में भारत को 41 साल लग गए। इसका बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि हॉकी हाशिए पर चली गई। खेल मैदान और संसाधनों के अभाव में प्रतिभाओं को निखरने का अवसर ही नहीं मिल रहा। जिला मुख्यालय पर हॉकी खेलने का मैदान नहीं है। पत्रिका ने शुक्रवार के अंक में हॉकी की हकीकत से रूबरू कराया। यहां तक की जिले में भी चुनिंदा स्कूलों में हॉकी खेल खिलाया जा रहा है। इस कारण जिले की कई खेल प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रहीं। जिला परिषद सीइओ की पहल से जिले में हॉकी खेल के प्रति माहौल अनुकूल होगा और खिलाडिय़ों का मनोबल भी बढ़ेगा।
मनरेगा में एक ग्राम-चार काम योजना चल रही है। इसके तहत हॉकी खेल मैदान विकसित किए जाएंगे। इससे जिले में खेल प्रतिभाओं को अवसर मिलेगा। स्कूलों का चयन होने के साथ ही मैदान विकसित करने का काम शुरू कर दिया जाएगा। –श्वेता चौहान, सीइओ, जिला परिषद पाली